बस्तर। जिले में ग्राम सचिवों की हड़ताल का असर अब ग्रामीण इलाकों में दिखने लगा है। बस्तर जिले सहित प्रदेशभर में शासकीयकरण की मांग करते हुए ग्राम पंचायत सचिवों की हड़ताल बीते 16 मार्च से जारी है। सचिवों की हड़ताल से जहां एक ओर शासन की विभिन्न विकास कार्य रूके हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ हड़ताल से ग्रामीण भी अब परेशान होने लगे हैं। जाति, निवास सहित जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए ग्रामीणों को भटकना पड़ रहा है।
शासन की तरफ से सचिवों को हड़ताल खत्म करने का अल्टीमेटम भी दिया गया था, लेकिन ग्राम पंचायत सचिव अपनी मांगों को लेकर हड़ताल से टस से मस होते नजर नहीं आ रहे हैं। बस्तर जिले में 437 ग्राम पंचायतों में 411 सचिव पदस्थ हैं। कई जगहों पर एक ही ग्राम सचिव को दो-दो पंचायतों का प्रभार सौंपा गया है। गांवों में विभिन्न योजनाओं के कई विकास कार्य ठप हो रहे हैं, जहां इन कार्यों में पंचायत सचिवों की विशेष भूमिका रहती है। इससे निर्माण कार्य में काम कर रहे मजदूरों का मजदूरी भुगतान, मटेरियल का भुगतान सहित कई ऐसे वित्तीय मामले शामिल है।
इस संबंध में पंचायत सचिव संघ के पदाधिकारियों का कहना है की परिक्षा अवधि के बाद शासकीयकरण की मांग लंबे अरसे से की जाती रही है, लेकिन राज्य सरकार मांगों के प्रति गंभीर नजर नहीं आता। ऐसे में हड़ताल करनी पड़ रही है। IBC24 से नरेश मिश्रा की रिपोर्ट