कवर्धा। जिले में एक आश्चर्यजनक मामला सामने आया है। तरेगांव जंगल थाना अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य के अंतिम छोर के गांव में एक विक्षिप्त महिला द्वारा अपने तीन दिन के नवजात शिशु को लेकर इधर-उधर घूम रही थी। वहीं नदी में बहाने का प्रयास कर रही थी। इसकी जानकरी मिलते ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पुष्पा टाडिया ने अपने सूझबूझ व समझदारी का परिचय देते हुए विक्षिप्त महिला को समझाकर अपने घर ले गई। महिला व बच्चे को अपने संरक्षण में लेकर बाल संरक्षण टीम को इस घटना की जानकारी दी।
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स्वास्थ्य केंद्र में कराया गया उपचार
सूचना मिलते ही जिला बाल संरक्षण अधिकारी सत्यनारायण राठौर, विनय कुमार जंघेल एवं श्यामा धुर्वे आउटरिच वर्कर के साथ बाल संरक्षण संरक्षण की टीम को मौके स्थल पर रवाना किया गया। बाल संरक्षण की टीम द्वारा मौके स्थल पर पहुंच कर थाना प्रभारी तरेगांव जंगल को तत्काल सूचना कर तीन दिन के नवजात शिशु व उसकी मां को रेस्क्यू कर वहां के नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में प्राथमिक उपचार कराया गया। तत्परता से जच्चा-बच्चा का प्राथमिक उपचार किया।
तत्काल निर्णय लिया गया
बाल संरक्षण की टीम ने नवजात शिशु व मां को जिला मुख्यालय कबीरधाम लाकर बाल कल्याण समिति में प्रस्तुत किया गया। समिति ने उक्त प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए दोनों के देखभाल व सुरक्षा संरक्षण के लिए विचार विमर्ष कर तत्काल निर्णय लेते हुए समिति ने बच्चे के सर्वोत्तम हित को देखते हुए नवजात शिशु को विशेषिकृत दत्तक ग्रहण अभिकरण वहीं महिला को सखी वन स्टॉप सेन्टर भेजकर महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संरक्षण दिया गया।
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महिला एव बाल विकास विभाग और बाल संरक्षण की टीम द्वारा इस तरह से कई मामले में बेहतर कार्य किया जा चुका है। कई विक्षिप्त महिलाओं को बचाया जा चुका है। साथ ही जो अधिक विक्षिप्त महिलाएं रही जो बिलासपुर के सेंदरी भी भेजा गया। बाल संरक्षण की टीम द्वारा कई महिलाओं को पारिवारिक प्रताड़ना से भी बचाया। समिति से निर्णय लेकर महिलाओं को न्याय भी दिलाया गया।