Reported By: Abhishek Soni
,अंबिकापुर: हाथियों के आतंक से प्रभावित सरगुजा संभाग में अब स्थानीय लोग ही हाथियों से सुरक्षा के लिए वैज्ञानिक प्रबंधन करेंगे इससे जहां जनहानि को रोका जा सकेगा। (Youths of Chhattisgarh are getting trained as elephant trackers) ऐसे में अब छत्तीसगढ़ के वन विभाग को हाथियों के प्रबंधन के लिए दूसरे राज्यों के ट्रेकरों पर निर्भर नही रहना पड़ेगा।
उत्तरी छग का सरगुजा संभाग हाथियों के आतंक से लंबे समय से प्रभावित रहा है। अंचल में अब भी हाथियों की संख्या करीब 100 से ज्यादा है। यही कारण है कि हाथी रहवासी गांवों के करीब पहुचकर न सिर्फ फसल हानि बल्कि जनहानि भी कर रहे है। हाथियों को वैज्ञानिक तरीके से ट्रैक करने के लिये अब तक वनविभाग का अमला तमिलनाडु के ट्रेकरों पर निर्भर रहता है। जिसके तहत ट्रैकर सरगुजा पहुंचकर हाथियों को ट्रैक कर गांव के लोगो को जागरूक करते थे। मगर अब वनविभाग स्थानीय ट्रैकर तैयार कर रहा है, जिसके तहत गांव के ही कुछ लोगों को इसके लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। इन्हें एलिफेंट ट्रैकर के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसका फायदा ये हो रहा है कि अब ट्रेकरों के लिए दूसरे राज्यो पर निर्भर नही रहना पड़ रहा है। स्थानीय लोग प्रशिक्षित होकर बेहतर तरीके से हाथियों की ट्रेकिंग कर पा रहे है।
हाथियों के उत्पात की समस्या से सरगुजा संभाग के सभी 6 जिले प्रभावित है। इन जिलों में आये दिन हाथियों का दल उत्पात मचा रहा है। ऐसे में इन प्रभावित इलाकों के युवाओं को एलिफेंट ट्रेनर के रूप में तैयार कर अपना एक विंग भी तैयार कर रहा है, जिससे हाथियों के मूवमेंट का पता लगाकर इसकी सूचना का आदान प्रदान किया जा सके। (Youths of Chhattisgarh are getting trained as elephant trackers) जिन इलाकों में हाथियों का मूवमेंट हो उस इलाके के ग्रामीणों को भी जागरूक किया जा रहा है ताकि जनहानि को कम से कम किया जा सके।
एलिफेंट एक्सपर्ट भी मान रहे है कि एलिफेंट ट्रैकर के रूप में प्रशिक्षण लेकर युवा बेहद उत्साहित है और इसके बेहतर परिणाम भी सामने आ रहे है। इस ट्रेनिंग की मदद से हाथियों के बीच रहकर उनके साथ फ्रेंडली इंवॉरमेंट भी तैयार करने की कोशिश है ताकि हाथी मानव द्वंद्व को रोका जा सके।
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बहरहाल सरगुजा घने वनों वाला क्षेत्र है जहां हाथियों को ये इलाका पंसद आता है ऐसे में हाथी भोजन की तलाश में गांवो की ओर रुख करते है और अप्रिय स्थिति पैदा होती है। ऐसे में तमाम कोशिशों के नाकाम होने के बाद वमविभाग की ये मुहिम कितनी कारगर साबित होती है ये आने वाला वक़्त ही बताएगा। (Youths of Chhattisgarh are getting trained as elephant trackers) लेकिन यह कहा जा सकता है कि अगर गांव के युवा हाथियों के ट्रेकिंग के लिए प्रशिक्षित होंगे तो नुकसान को कम जरूर किया जा सकेगा।