अंबिकापुर। विशेष पिछड़ी जनजाति के वे लोग जो पिछड़ेपन का शिकार थे, जिन्हें शासकीय दफ्तर देख कर ही डर लगता था। जो नौकरी का सपना तो देखते थे, मगर उसे पूरा नहीं कर पाते थे। वो आज शासकीय दफ्तर में सरकारी कामकाज में योगदान दे रहे हैं। समाज की मुख्यधारा से जुड़ कर उन्हें भी अब लगने लगा है कि उनकी दिशा और दशा बदल रही है। यह सब हो सका है भूपेश सरकार की मंसा से, जिसने सरगुजा संभाग के सैकड़ों विशेष पिछड़ी जनजाति के लिए युवाओ के लिए नौकरी का पिटारा खोल दिया। देखिए कैसे आज विशेष पिछड़ी जनजाति के युवा शासकीय कामकाज में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं और इसके लिए प्रदेश सरकार का धन्यवाद भी ज्ञापित कर रहे हैं।
कोई कंप्यूटर में कामकाज के जरिए विभागीय कार्य में जुटा हुआ है। कोई फाइलों के जरिए सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन कर रहा है तो कोई अन्य सरकारी विभाग में अपनी सेवा देकर अपनी भागीदारी निभा रहा है। ये युवा व युवतियां कोई आम नहीं बल्कि बेहद खास है। खास इसलिए कि इन्हें विशेष पिछड़ी जनजाति के रूप में जाना जाता है जिनमें पंडो, कोरवा, जैसे वो समुदाय शामिल हैं जो कल तक गांव और जंगलों में रहकर विकास से कोसों दूर थे, मगर भूपेश सरकार के आते ही इनकी दशा और दिशा दोनों में ही बदलाव हुआ है। दरअसल, सरगुजा संभाग में मौजूद विशेष पिछड़ी जनजाति के लिए भूपेश सरकार ने अद्वितीय काम किया, जिसके तहत चतुर्थ और तृतीय वर्ग ने विशेष भर्ती निकालकर विशेष पिछड़ी जनजाति के युवाओं को नौकरी दी गई सरगुजा संभाग में करीब 100 युवक युवतियां अब सरकारी कामकाज में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। जब हमने उनसे उनके पहले और अभी के जीवन में बात करने की कोशिश की तो वह शब्दों में अपने खुशी को बयां भी नहीं कर पा रहे थे।
विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों का कहना था कि नौकरी पाना तो दूर उन्हें शासकीय दफ्तर के नाम से डर लगता था। कलेक्टर दफ्तर सुनकर ही उनके होश उड़ जाते थे, मगर आज भूपेश सरकार की ही देन है कि युवा न सिर्फ रोजगार पाकर शासकीय सेवक बन चुके हैं बल्कि शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन में अपनी महती भूमिका भी अदा कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि कल तक वह भले ही समाज के विकास से कोसों दूर थे, मगर अब शासकीय नौकरी पाकर वह भी सामाजिक विकास में भागीदार बन सकेंगे। नौकरी पाकर विशेष पिछड़ी जनजाति के युवा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्रदेश सरकार का बारंबार धन्यवाद भी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री की पहल से उनके जीवन में आमूलचूल परिवर्तन आया है और जो सपना वह वर्षों तक पूरा नहीं कर पा रहे थे वह अब पूरा हो गया है।
दरअसल, इसके पहले विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के लिए अलग से कोई भर्ती नहीं निकाली गई थी। आमतौर पर होने वाली भर्तियों में जी पिछड़ी जनजाति के युवा खुद को साबित भी नहीं कर पा रहे थे, मगर जैसे ही प्रदेश में काग्रेस की सरकार आई मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इनके हित का ख्याल करते हुए। सरगुजा संभाग में विशेष पिछड़ी जनजाति की भर्ती प्रक्रिया शुरू की जिसके तहत विशेष पिछड़ी जनजाति की वे युवा जो पढ़े लिखे थे, उनके आवेदन जमा कराए गए और तत्काल उन्हें नौकरी का नियुक्ति पत्र दिया गया। इन्हें विशेष ट्रेनिंग दी गई और अब युवा अन्य सरकारी कर्मचारियों के भांति ही सरकारी दफ्तर में कामकाज संभाल रहे हैं। प्रशासन का भी कहना है कि इस पहल से न सिर्फ नौकरी पाने वाले युवाओं का हौसला बढ़ा है बल्कि समाज के अन्य लोगों को भी इससे उम्मीद जगी है कि उन्हें भी पढ़ लिखकर नौकरी मिलेगी और मजदूरी के अलावा भी उनके पास कोई विकल्प हो सकेगा।
प्रशासन का कहना है कि कुछ समय में ही विशेष पिछड़ी जनजाति के युवाओं नौकरी में आए हैं सारे कामों को जान रहे हैं और अपनी सेवा के जरिए सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन कर रहे हैं जो कि एक बेहतर पहल है। बहरहाल ये भूपेश सरकार की संवेदनशीलता ही है अंतिम छोर तक रहने वाले लोगों के लिए विकास के पिटारे खोल रही है। इस पहल से वह वर्ग लाभान्वित हो रहा है जिसके विकास की बातें तो हर कोई करता है, लेकिन इनके लिए काम करने का माद्दा किसी सरकार नहीं दिखाया है। ऐसे में भूपेश सरकार की जितनी भी सराहना की जाए वह कम है, क्योंकि विकास की बयार तभी सफल कहलाएगी जब इसके धारा में हर वर्ग शामिल हो सके और विशेष पिछड़ी जनजाति की भर्ती प्रक्रिया से कुछ यही मंशा पूरी होती नजर आ रही है। IBC24 से अभिषेक सोनी की रिपोर्ट
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