Ambikapur Dhan Kharidi: जिले में सुस्त नजर आई धान खरीदी व धान उठाव की प्रक्रिया, नई उम्मीद-नई सरकार का इंतजार कर रहे किसान

Ambikapur Dhan Kharidi: जिले में सुस्त नजर आई धान खरीदी व धान उठाव की प्रक्रिया, नई उम्मीद-नई सरकार का इंतजार कर रहे किसान

  • Reported By: Abhishek Soni

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  • Publish Date - November 29, 2023 / 05:27 PM IST,
    Updated On - November 29, 2023 / 05:30 PM IST

अंबिकापुर। Ambikapur Dhan Kharidi: सरगुजा जिले में धान खरीदी व धान के उठाव की प्रक्रिया सुस्त गति से चल रही है आलम ये है कि जिले के 54 समितियों में महज 2500 मीट्रिक टन की ही धान ख़रीदी कि जा सकी है और एक भी क्विंटल धान का उठाव नहीं हो पाया है। गंभीर बात ये की अब तक महज 608 किसानों ने ही धान की बिक्री की है। दरअसल यह माना जा रहा है कि किसान चुनाव परिणाम का इंतजार कर रहे हैं और चुनाव परिणाम आने के बाद ही नई सरकार बनने के बाद किसान धान की बिक्री करेंगे।

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उदासीन नजर आया प्रशासन

यही कारण है कि पिछले वर्ष जहां इस तारीख तक सरगुजा जिले में 13000 मीट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी थी तो वहीं करीब 3500 से ज्यादा किसानों ने धान की बिक्री की थी यही नहीं 6000 मीट्रिक टन धान का उठाव भी समिति केंद्रों से हो चुका था मगर इस बार सरगुजा जिले में प्रशासन भी उदासीन नजर आ रहा है यह इसलिए भी क्योंकि जिले में करीब 50 से ज्यादा राइस मिलर है मगर अब तक खाद्य विभाग करीब 27 राइस मिलरो से ही अनुबंध कर सका है। जबकि अनुबंध की प्रक्रिया धान खरीदी शुरू होने के पहले ही पूरी हो जानी चाहिए थी।

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आने वाले महिने में होगी धान की बंपर आवक

Ambikapur Dhan Kharidi: यही कारण है कि अब तक जिले में महज ढाई हजार मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई है और 600 के करीब किसानों ने ही धान बेचा है जबकि एक भी क्विंटल धान का उठाव समिति केंद्रों से नहीं हो सका है इसके पीछे खाद विभाग फसल की देर से पैदावार को कारण बता रहा है खाद विभाग का कहना है कि आने वाले महीने में किसान की फसल तैयार हो जाएगी और फिर समितियां में धान की बंपर आवक होगी मगर जिस तरह से एक चौथाई धान की भी खरीदी पिछले वर्ष की तुलना में नहीं हो सकी है तो दूसरी तरफ राइस मिलरो से अनुबंध के मामले में भी प्रशासन फिसड्डी नजर आ रहा है उससे कहा जा सकता है कि किसानों के साथ-साथ प्रशासनिक अफ़सर भी धान खरीदी और इसके उठाव को लेकर बेहद सुस्त नजर आ रहे हैं। ऐसे में देखना होगा कि आखिर राइस मिलरो से कब तक अनुबंध पूरा हो पाता है और धान केंद्रों में धान की आवक के साथ इसका उठाव कब तक तेज हो पाता है।

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