Reported By: Abhishek Soni
,अंबिकापुर: Inflammatory speeches on other religions in religious gatherings आदिवासी बाहुल्य सरगुजा संभाग में धर्म सभाओं के नाम पर धर्म युद्ध छिड़ गया है। धार्मिक आयोजनों में अपने धर्म के गुणगान के बजाय दूसरे धर्म पर भड़काऊ भाषण दिए जा रहे हैं। यही कारण है कि पुलिस ने एक ऐसे ही मामले में धर्म विशेष के लोगों पर गैर जमानती धराओं के तहत जहाँ अपराध दर्ज किया है। वहीं ब्राह्मण समाज ने गृह मंत्री को ज्ञापन सौंप कर ऐसी बयानबाजी करने वालों के खिलाफ रासुका के तहत अपराध पंजीबद्ध करने की मांग की है।
आदिवासी बाहुल्य सरगुजा संभाग में लंबे समय से धर्मांतरण का खेल खेला जा रहा है। मगर अब सभाओं के जरिये यहां धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने का खेल भी शुरू हो गया है। एक ऐसा ही मामला सामने आया सरगुजा में जहां 6 नवम्बर को राष्ट्रीय क्रिश्चन मोर्चा के द्वारा अधिवेशन का आयोजन रजवार भवन में किया गया। इस अधिवेशन को लेकर रजवार समाज ने जमकर हंगामा किया और समूह कार्यक्रम की बात कहते हुए अधिवेशन कराए जाने का आरोप लगाते हुए रजवार समाज ने अधिवेशन के बहाने धर्मांतरण को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
इस कार्यक्रम के दौरान जमकर हंगामा भी किया गया,जिसके बाद रजवार समाज की शिकायत पर गांधीनगर पुलिस ने इस मामले में क्रिश्चियन मोर्चा के कुछ पदाधिकारियों के खिलाफ गैर जमानती धराओं के तहत अपराध भी दर्ज किया है। इस आयोजन में आरएसएस के साथ साथ ब्राह्मण समाज को लेकर भी आपत्तिजनक टिप्पणी की गई, जिसे लेकर अब ब्राह्मण समाज ने भी मोर्चा खोल दिया है और दोषियों के खिलाफ़ रासुका के तहत कार्रवाई की मांग करते हुए ज्ञापन भी सौंपा है।
बता दें कि क्रिश्चयन सभा का आयोजन पहले राजमोहनी भवन में किया जाना था। मगर गोंड समाज ने इसका विरोध किया था, ऐसे में कथित तौर पर मौखिक अनुमति के बाद रजवार सामाजिक भवन में इसका आयोजन किया गया। इसके वक्ताओं ने जो भाषण दिए उसे सोशल मीडिया में भी वायरल किया गया, जिसे लेकर गांधीनगर पुलिस ने 5 नामजद समेत अन्य के खिलाफ़ कई धराओं के तहत अपराध पंजीबद्ध तो किया ही है साथ ही ब्राह्मण समाज के द्वारा सौंपे गए ज्ञापन पर भी जांच कर कार्रवाई की बात कही है।
बहरहाल ये कोई पहला मामला नहीं जब धर्म विशेष पर सभाओं के नाम पर धर्मांतरण करने और दूसरे धर्म को लेकर टिप्पणी के मामले सामने न आये हो। मगर इस मामले में जहां पुलिस ने एफआईआर की कार्रवाई की है तो वहीं ब्राह्मण समाज भी लामबंद नजर आ रहा है। ऐसे में सवाल है कि क्या ऐसे धर्म सभा और कार्यक्रम के आयोजित करने से धार्मिक सौहार्द नहीं बिगड़ रहा और इससे भी बड़ा सवाल ये की आखिर इस पर रोक कैसे लग सकेगी।
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