अंबिकापुर: Crowd gathered to have darshan of TS Singhdeo, राजनीति के माहिर ख़िलाडी और दिग्गज राजनेता टीएस सिंह देव के आज अलग रूप से हम आपको रूबरू कराने जा रहे हैं। जहां टीएस सिंह देव सरगुजा महराज के रूप में नजर आ रहे है। विजयादशमी के दिन उनकी कचहरी लगती है। क्षेत्र की जनता सरगुजा महाराज के दर्शन को आती है उन्हें नजराना भेंट करती है। राजा के रूप में टीएस सिंह देव आम जनता का हाल चाल जानते हैं।
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वर्षों से चली आ रही परम्परा का आज भी यहां निर्वहन किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि राजा को ईश्वर का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि दशहरा के दिन राजा के दर्शन को शुभ मानकर लोग इस परंपरा का निर्वहन करते हैं।
इसके पहले राजा के रूप में टीएस सिंह देव शस्त्र पूजा, नगाड़ा पूजा के साथ सिंह द्वार पूजा भी करते हैं। एक खास बात ये है की आज के दिन अपने ही महल में प्रवेश करने से पहले राजा को एक खास जनजाति की अनुमति लेनी पड़ती है। जिसके बिना राजा राजमहल में प्रवेश नहीं कर पाता।
सरगुजा में हाथियों का विशेष महत्व रहता था और यहां के हाथी भेंट स्वरूप दूसरे राज्यों को दिए जाते थे। टीएस सिंह देव जब हाथी पर बैठे तो ऐसा क्या हुआ कि वो रोने लगे। ऐसे ऐसे अनछुए पहलू है जिन्हें सरगुजा महराज ने याद किया। सरगुजा महराज टीएस सिंह देव के साथ यहां राजा से मिलने आये लोगों से खास बातचीत की हमारे संवाददाता अभिषेक सोनी ने।
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