रायपुर: छत्तीसगढ़ में नशे के खिलाफ सरकार ने युद्ध का ऐलान कर दिया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने IG-SP कॉन्फ्रेंस में दो टूक कहा कि प्रदेश में कहीं भी कोई हुक्का बार चलता दिखा तो जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। दूसरे राज्यों से गांजे की एक पत्ती भी प्रदेश में घुसनी नहीं चाहिए। सीएम के निर्देश के कुछ घंटों बाद ही पुलिस एक्शन में दिखी, तो ट्विटर पर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने शराबबंदी का मुद्दा उछाल कर राज्य सरकार से सवाल पूछा कि शराब के खिलाफ युद्ध कब होगा ? सियासी आरोप-प्रत्यारोप से इतर बड़ा सवाल ये है कि क्या कानूनी प्रावधान ऐसे हैं कि प्रदेश में संचालित हुक्का बारों पर नकेल कसी जा सके, क्या इंटेलीजेंस और सिस्टम इतना मजबूत है कि ओडिशा से गांजा तस्करी को पूरी तरह रोका जा सके?
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शुक्रवार को रायपुर के सर्किट हाउस में प्रदेशभर के एसपी और आईजी कांफ्रेस में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हुक्का बार और गांजे के खिलाफ अपने सख्त तेवर दिखा कर साफ कर दिया कि नशे के खिलाफ राज्य सरकार की मंशा कितनी साफ और मजबूत है। मुख्यमंत्री ने सभी पुलिस अधिकारियों को चेताया है कि प्रदेश में कहीं भी हुक्का बार चलता दिखा तो जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। सीएम ने गांजा तस्करी को लेकर भी काफी सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि दूसरे राज्यों से गांजे की एक पत्ती भी छत्तीसगढ़ में घुसनी नहीं चाहिए।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के तेवर इतने सख्त थे कि दोपहर में निर्देश देने के बाद शाम होते-होते राजधानी रायपुर के उन तमाम बारों पर पुलिस के छापे पड़ गए, जहां-जहां हुक्का पिलाया जा रहा था। नशे के खिलाफ राज्य सरकार की सख्ती पर अब राजनीति भी तेज हो गई है। आईजी-एसपी कॉन्फ्रेंस के बाद हुक्का और गांजा बैन किए जाने के फैसले को सीएम भूपेश ने नशा के विरुद्ध युद्ध बताकर एक ट्वीट किया। जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने ट्वीट किया कि मुख्यमंत्री जी छत्तीसगढ़ की माताएं-बहनें पूछ रही हैं कि शराब के खिलाफ युद्ध कब शुरू होगा? पौने तीन सालों से सरकार उसे शुद्ध मान कर बैठी है। शराबबंदी कभी होगी या नहीं? बीजेपी के दूसरे नेता भी राज्य सरकार पर हमलावर दिखे। हालांकि आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने दलील देते हुए कहा कि एकाएक शराबबंदी कई लोगों की जान ले सकती है। लाखों लोगों को जेल भिजवा सकती है. बिहार और गुजरात इसका उदाहरण है।
नशे के खिलाफ सरकार की सख्ती निश्चित रूप से स्वागत योग्य है, इसकी तारीफ होनी ही चाहिए। पिछले साल ड्रग्स के खिलाफ सबसे बड़ी में अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के 18 ड्रग्स पैडलर और सप्लायर जेल भेजे गए। बहरहाल मुख्यमंत्री ने दो टूक निर्देश के बाद बड़ा सवाल ये है कि बिना कड़े कानून और मजबूत सूचना तंत्र के बिना हुक्काबारों पर बैन और छत्तीसगढ़ के दर्जनों रूट पर ओडिशा से होने वाले हजारों क्विंटल गांजे की सप्लाई पर कैसे रोक लग पाएगा?
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