नयी दिल्ली, 28 जनवरी (भाषा) त्वरित आपूर्ति करने वाली कंपनी जेप्टो ने अपने प्रस्तावित आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) से पहले भारतीय मूल की कंपनी बनने के लिए सिंगापुर से भारत में ‘रिवर्स फ्लिप’ की प्रक्रिया पूरी कर ली है।
रिवर्स फ्लिप प्रक्रिया का इस्तेमाल विदेश में स्थित स्टार्टअप अपना मूल स्थान बदलकर भारत करने और भारतीय शेयर बाजारों में सूचीबद्ध होने की प्रवृत्ति दर्शाने के लिए करते हैं।
जेप्टो के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) आदित पलिचा ने पेशेवर नेटवर्किंग मंच ‘लिंक्डइन’ पर पोस्ट में रिवर्स फ्लिप प्रक्रिया पूरी करने की जानकारी दी।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें सिंगापुर की अदालतों और भारत में एनसीएलटी से हमारे सीमापार विलय को पूरा करने और भारतीय मूल कंपनी बनने की औपचारिक स्वीकृति मिल गई।’’
पलिचा ने इसे भारतीय स्टार्टअप परिवेश के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर और एक ऐसा मोड़ बताया जो भारतीय पूंजी बाजारों की तरलता और गहराई में दीर्घकालिक भरोसे को दर्शाता है।
उन्होंने जेप्टो टीम के साथ डेलॉयट जैसे भागीदारों को एक लंबे समय से चले आ रहे सपने को साकार करने के लिए बधाई दी।
राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने सिंगापुर स्थित किरानाकार्ट पीटीई लिमिटेड का विलय किरानाकार्ट टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के साथ करने को मंजूरी दे दी। इस तरह जेप्टो की होल्डिंग कंपनी का निवास भारत में आ गया।
जेप्टो की मूल कंपनी का निवास भारत में लाने का कदम इस लिहाज से अहम है कि कंपनी आईपीओ लाकर भारतीय बाजार से धन जुटाने की कोशिश कर रही है।
मुंबई स्थित फर्म ने पिछले वित्त वर्ष में 4,454 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया था जो उससे पहले के वित्त वर्ष के 2,025 करोड़ रुपये से दोगुने से अधिक है।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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