नई दिल्ली। GST On Popcorn: बीते दिनों जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक हुई। जिसमें पॉपकॉर्न और यूज्ड कार की बिक्री पर लगने वाले जीएसटी में बदलाव किया गया। वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की बैठक में पॉपकॉर्न के लिए अलग-अलग टैक्स दरें तय की गईं। जिसमें सरकार ने एक ही प्रोडक्ट पर 3 तरह से जीएटी लगाकर सभी को कन्फ्यूजन में डाल दिया है। जिसे लेकर अब पॉपकॉर्न पर GST का मुद्दा इन दिनों एक बड़ी बहस का केंद्र बन गया है। हर किसी के मन में सवाल यह है कि मूवी थिएटर में पॉपकॉर्न खरीदते समय ग्राहकों को कितना टैक्स चुकाना पड़ेगा। पॉपकॉर्न पर टैक्स दरें इसकी प्रकार और बिक्री के तरीके पर निर्भर करती हैं।
जीएसटी काउंसिल ने अपनी हालिया बैठक में कहा था कि, अगर नमक वाला पॉपकॉर्न पैकेट में पैक करके लेबल लगाकर बेचा जाता है तो उस पर 12 फीसदी की दर से जीएसटी लगेगा। अब अगर आप दुकान में मिलने वाला कंपनियों का लेबल लगा पॉपकॉर्न खरीदेंगे तो यह आपको महंगा पड़ेगा। इस पर 12 फीसदी GST लगेगा। आसान भाषा में कहें तो अब आपको अपने गली-मोहल्ले की दुकान पर महंगा पॉपकॉर्न मिलेगा।
नॉन-ब्रांडेड पॉपकॉर्न: जीएसटी काउंसिल ने यह स्पष्ट किया है कि नमक और मसालों के साथ मिलाए गए नॉन-ब्रांडेड पॉपकॉर्न पर 5% जीएसटी लगेगा।
ब्रांडेड पॉपकॉर्न: ब्रांड के तहत पैकेट में बेचे जाने वाले पॉपकॉर्न पर जीएसटी बढ़कर 12% हो जाता है।
कैरामलाइज्ड पॉपकॉर्न: चीनी के साथ बनाए गए पॉपकॉर्न, जिसे कैरामलाइज्ड पॉपकॉर्न कहा जाता है, इस पर 18% जीएसटी लगेगा। निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया कि कैरामल पॉपकॉर्न में चीनी मिलाने से इसका स्वरूप बदल जाता है, और इसलिए इसे नमकीन के बजाय शुगर कन्फेक्शनरी के रूप में टैक्स किया जाता है।