नयी दिल्ली, 10 जुलाई (भाषा) उड़द की कीमतों में तेजी के बीच सरकार ने बुधवार को कहा कि आपूर्ति बढ़ाने के प्रयासों और चालू खरीफ सत्र में बुवाई का रकबा बढ़ने से दिल्ली और इंदौर के थोक बाजारों में इसके दाम में नरमी आनी शुरू हो गई है।
चालू खरीफ सत्र में पांच जुलाई तक उड़द की बुवाई का रकबा बढ़कर 5.37 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 3.67 लाख हेक्टेयर था।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि उपभोक्ता मामलों के विभाग के लगातार प्रयासों का नतीजा उड़द की कीमतों में नरमी के रूप में निकला है। सरकार के सक्रिय कदम उपभोक्ताओं के लिए कीमतों को स्थिर करने और किसानों के लिए अनुकूल मूल्य प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिहाज से अहम रहे हैं।
अच्छी बारिश की उम्मीद से किसानों का मनोबल बढ़ने की उम्मीद है। इससे मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख उड़द उत्पादक राज्यों में उड़द की अच्छी फसल होने की संभावना है।
खरीफ बुवाई सत्र से पहले नैफेड और एनसीसीएफ जैसी सरकारी एजेंसियों के माध्यम से किसानों के पूर्व-पंजीकरण में उल्लेखनीय तेजी आई है। ये एजेंसियां किसानों से उड़द की खरीद करेंगी।
अकेले मध्य प्रदेश में 8,487 उड़द उत्पादक किसान पहले ही एनसीसीएफ और नैफेड के माध्यम से अपना पंजीकरण करा चुके हैं। महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी क्रमशः 2,037, 1,611 और 1,663 किसानों ने अपना पंजीकरण कराया है।
मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत नैफेड और एनसीसीएफ की तरफ से ग्रीष्मकालीन उड़द की खरीद की जा रही है।
सरकार के इन प्रयासों से छह जुलाई तक इंदौर और दिल्ली के बाजारों में उड़द के थोक मूल्य में क्रमशः 3.12 प्रतिशत और 1.08 प्रतिशत की साप्ताहिक गिरावट दर्ज की गई है। सरकार ने कहा कि घरेलू कीमतों के अनुरूप आयातित उड़द की कीमतों में भी गिरावट का रुख है।
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