पश्चिम बंगाल के आर्थिक प्रदर्शन में कई दशकों से लगातार गिरावटः ईएसी-पीएम रिपोर्ट |

पश्चिम बंगाल के आर्थिक प्रदर्शन में कई दशकों से लगातार गिरावटः ईएसी-पीएम रिपोर्ट

पश्चिम बंगाल के आर्थिक प्रदर्शन में कई दशकों से लगातार गिरावटः ईएसी-पीएम रिपोर्ट

:   Modified Date:  September 17, 2024 / 03:38 PM IST, Published Date : September 17, 2024/3:38 pm IST

नयी दिल्ली, 17 सितंबर (भाषा) प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के एक अध्ययन पत्र में कहा गया है कि पिछले कई दशकों से अन्य राज्यों की तुलना में पश्चिम बंगाल के आर्थिक प्रदर्शन में लगातार गिरावट देखने को मिली है।

ईएसी-पीएम के सदस्य संजीव सान्याल की लिखी इस रिपोर्ट के मुताबिक, देश के पूर्वी हिस्से का विकास अब भी चिंता का सबब बना हुआ है।

‘भारतीय राज्यों का सापेक्षिक आर्थिक प्रदर्शन: 1960-61 से 2023-24’ शीर्षक वाली रिपोर्ट कहती है कि पश्चिम बंगाल को छोड़कर देश के तमाम तटवर्ती राज्यों ने स्पष्ट रूप से अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है।

हालांकि पिछले दो दशकों में बिहार की सापेक्षिक आर्थिक स्थिति स्थिर हुई है लेकिन यह अन्य राज्यों से अब भी काफी पीछे है। इसे विकास के पैमाने पर एक मुकाम हासिल करने के लिए बहुत तीव्र वृद्धि की जरूरत है।

इसके उलट परंपरागत तौर पर पिछड़ा राज्य रहे ओडिशा ने हाल के वर्षों में वृद्धि के पैमाने पर उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया है।

रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 1960-61 में 10.5 प्रतिशत के साथ राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में तीसरा सबसे बड़ा हिस्सा रखने वाले पश्चिम बंगाल की वित्त वर्ष 2023-24 में केवल 5.6 प्रतिशत हिस्सेदारी रह गई। इस समूचे कालखंड में इसके आर्थिक प्रदर्शन में लगातार गिरावट देखी गई है।

शोधपत्र के मुताबिक, पश्चिम बंगाल की प्रति व्यक्ति आय 1960-61 में राष्ट्रीय औसत से अधिक 127.5 प्रतिशत थी लेकिन बाद में इसकी वृद्धि राष्ट्रीय रुझानों के साथ तालमेल बिठा पाने में नाकाम रही। इसका नतीजा यह निकला कि पश्चिम बंगाल की सापेक्षिक प्रति व्यक्ति आय 2023-24 में घटकर 83.7 प्रतिशत रह गई। यह राजस्थान और ओडिशा जैसे पिछड़े राज्यों से भी कम है।

रिपोर्ट कहती है कि देश के पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्रों ने 1960-61 से 2023-24 के दौरान अन्य क्षेत्रों के मुकाबले कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है।

खासकर 1991 में आर्थिक उदारीकरण प्रक्रिया शुरू होने के बाद दक्षिणी राज्यों ने अन्य राज्यों को काफी पीछे छोड़ दिया है। दक्षिण के पांच राज्यों- कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु की 2023-24 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में सामूहिक रूप से लगभग 30 प्रतिशत हिस्सेदारी रही।

इसके अलावा, 1991 के बाद सभी दक्षिणी राज्यों की प्रति व्यक्ति आय भी राष्ट्रीय औसत से अधिक हो गई।

शोधपत्र कहता है कि उत्तर भारत में भी दिल्ली और हरियाणा जैसे राज्यों का प्रदर्शन बेहतर रहा है। अध्ययन अवधि के दौरान दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय सबसे अधिक रही।

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की यह रिपोर्ट कहती है कि महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु 1960 के दशक में भारत के तीन अग्रणी औद्योगिक केंद्र थे। लेकिन बाद में इन तीनों की किस्मत अलग होती गई। महाराष्ट्र ने पूरे समय मोटे तौर पर स्थिर प्रदर्शन दिखाया जबकि पश्चिम बंगाल की हिस्सेदारी लगातार घट रही है। वहीं तमिलनाडु ने कुछ समय तक गिरावट के बाद उदारीकरण से दोबारा रफ्तार पकड़ ली है।

इस अध्ययन में इस्तेमाल किए गए सभी आंकड़े मौजूदा कीमतों पर आधारित हैं। इन आंकड़ों का विश्लेषण 1960-61 से 2023-24 की अवधि तक विस्तारित है।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)