कोलकाता, तीन दिसंबर (भाषा) सोलहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने मंगलवार को कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्यों को करों का हस्तांतरण 41 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का आग्रह किया है। साथ ही क्षैतिज कर आवंटन में भारांक मानकों में बदलाव का प्रस्ताव रखा है।
पनगढ़िया ने कहा कि वित्त आयोग ने अब तक जिन 13 राज्यों का दौरा किया है, उनमें से ज्यादातर ने करों का हस्तांतरण 50 प्रतिशत करने की मांग की है। हालांकि कुछ राज्यों ने कर हस्तांतरण को मौजूदा 41 प्रतिशत से बढ़ाकर 45 प्रतिशत करने की भी मांग रखी है।
केंद्र एवं राज्यों के बीच कर राजस्व वितरण के प्रावधान तय करने वाले आयोग के प्रमुख ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल सरकार ने मांग की है कि केंद्रीय करों में हस्तांतरण को 50 प्रतिशत तक बढ़ाया जाए।’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कर हस्तांतरण संबंधी सुझावों के साथ आयोग से मुलाकात की और ‘केंद्र की तरफ से वंचित होने’ का मुद्दा उठाया।
राज्य ने क्षैतिज हस्तांतरण मानदंड ढांचे में 7.5 प्रतिशत का नया शहरीकरण-आधारित भारांक शुरू करने का सुझाव भी आयोग को दिया। वहीं वन एवं पारिस्थितिकी को मानदंड से बाहर करने की वकालत भी की जिसका 15वें वित्त आयोग में 10 प्रतिशत भारांक था।
अधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकार ने जनसांख्यिकीय वास्तविकताओं को बेहतर ढंग से दर्शाने के लिए अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए जनसंख्या भार को 10 प्रतिशत तक समायोजित करने का भी प्रस्ताव रखा।
कर दक्षता के मोर्चे पर पश्चिम बंगाल ने 2.5 प्रतिशत के भार की सिफारिश की है।
उन्होंने कहा कि राज्य ने जनसांख्यिकीय भारांक को पिछले वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित 12.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का सुझाव दिया।
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री बनर्जी ने आय मानदंड का भारांक 45 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की वकालत करते हुए कहा कि इस समायोजन से राज्यों के बीच आय वितरण में असमानताओं को दूर किया जा सकेगा और पश्चिम बंगाल जैसे संसाधन-वंचित क्षेत्रों को मदद मिलेगी।
ममता बनर्जी सरकार ने आयोग से स्थानिक जटिल क्षेत्रों के समायोजन के साथ ‘क्षेत्र’ मानदंड का भार 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने को भी कहा।
बैठक की अध्यक्षता करने वाले पनगढ़िया ने पश्चिम बंगाल सरकार के प्रतिवेदन को स्वीकार करते हुए आश्वासन दिया कि आयोग सभी 28 राज्यों से परामर्श करने के बाद सुझावों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करेगा। यह कार्य मई मध्य तक जारी रहेगा।
आयोग के पांच सदस्यीय पैनल ने व्यापार निकायों, उद्योग संघों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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