देवचा-पचमी ब्लॉक में कोयला गैसीकरण की संभावना तलाश रही है पश्चिम बंगाल सरकार

देवचा-पचमी ब्लॉक में कोयला गैसीकरण की संभावना तलाश रही है पश्चिम बंगाल सरकार

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  • Publish Date - January 27, 2025 / 02:18 PM IST,
    Updated On - January 27, 2025 / 02:18 PM IST

कोलकाता, 27 जनवरी (भाषा) पश्चिम बंगाल सरकार देवचा-पचामी ब्लॉक के 30 प्रतिशत हिस्से में भूमिगत कोयला गैसीकरण की संभावना तलाश रही है। इन खानों में पारंपरिक खुली तथा भूमिगत खनन पद्धतियां व्यावहारिक नहीं हैं। एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी है।

उन्होंने बताया कि शेष ब्लॉक, जिसे भारत का सबसे बड़ा तथा विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कोयला भंडार माना जाता है, उसका परिचालन खुले और भूमिगत खनन के जरिये किया जाएगा।

अधिकारी ने कहा कि ब्लॉक के कुछ हिस्सों में खुले में खनन का काम फरवरी के पहले सप्ताह में शुरू होगा।

खनन विकास एवं परिचालक (एमडीओ) शुरुआती चरण में अतिरिक्त भार (ओवरबर्डन) हटाने की कवायद शुरू करेगा।

पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (डब्ल्यूबीपीडीसीएल) राज्य के बीरभूम जिले में देवचा-पचामी कोयला ब्लॉक में खनन के लिए कार्यान्वयन एजेंसी है।

डब्ल्यूबीपीडीसीएल के प्रबंध निदेशक पी. बी. सलीम ने ‘पीटीआइ्र-भाषा’ से कहा, ‘‘ हम भूमिगत कोयला गैसीकरण की संभावनाओं पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं और इसके लिए भारतीय व विदेशी विशेषज्ञों के साथ कई बैठकें भी कर चुके हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी योजना के अनुसार, कोयला भंडार का 30 प्रतिशत हिस्सा खुले खनन के माध्यम से, 40 प्रतिशत भूमिगत खनन के माध्यम से तथा शेष 30 प्रतिशत गैसीकरण के जरिये निकाला जाएगा। गैसीकरण ही इस विशाल कोयला ब्लॉक की पूरी क्षमता का दोहन करने का एकमात्र तरीका है। ’’

इस 35,000 करोड़ रुपये की परियोजना को बीरभूम जिले के लिए एक बड़ा परिवर्तनकारी कदम बताया जा रहा है।

भारत में कोयला गैसीकरण एक नई अवधारणा है और देश स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ाने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए इस प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दे रहा है।

केंद्र सरकार की भूमिगत कोयला गैसीकरण परियोजनाओं को सहायता देने की एक नीति भी है।

भाषा निहारिका अजय

अजय