नयी दिल्ली, 28 नवंबर (भाषा) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बृहस्पतिवार को उद्योग जगत से ‘एकल खिड़की मंजूरी’ प्रणाली का इस्तेमाल करने का आह्वान करते हुए कहा कि ऐसा न किए जाने पर सरकार इस योजना को बंद करने पर विचार करेगी।
राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (एनएसडब्ल्यूएस) एक डिजिटल मंच है जो उद्योग को व्यावसायिक जरूरतों के अनुरूप अनुमोदन की पहचान करने और आवेदन करने में मार्गदर्शन करता है।
इस पोर्टल पर 32 केंद्रीय विभागों और 29 राज्य सरकारों से अनुमोदन के लिए आवेदन स्वीकार किए जाते हैं।
गोयल ने कारोबारी सुगमता पर आयोजित दूसरे (उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी)-सीआईआई सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘अब विकल्प आपके (उद्योग) पास है। अगर आपको लगता है कि आपकी इसमें रुचि नहीं है तो सरकार इस पर बहुत पैसा खर्च कर रही है। हम एक ऐसे दौर में आ गये हैं जहां मैं इस संकल्पना को खत्म करने का उत्सुक हूं।’
उन्होंने कहा कि एनएसडब्ल्यूएस भले ही संपूर्ण न हो, लेकिन इसे बेहतर बनाने के लिए वह उद्योग जगत के सुझावों के लिए तैयार हैं।
मंत्री ने सरकार द्वारा गठित राष्ट्रीय भूमि बैंक में उद्योग जगत द्वारा अपेक्षित रुचि न दिखाए जाने पर भी निराशा व्यक्त की।
गोयल ने कहा कि निवेशकों की पहचान करने और उनकी व्यावसायिक जरूरतों के अनुरूप अनुमोदन संबंधी आवेदन के लिए सरकार के एनएसडब्ल्यूएस मार्गदर्शन को उद्योग जगत से सुझावों की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि जब तक उद्योग राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली से नहीं जुड़ेगा, इसके जरिये लाइसेंस नहीं हासिल करेगा और इसे बेहतर बनाने के लिए केंद्र और औद्योगिक भूमि बैंक को सुझाव भी नहीं देगा, तब तक यह पहल सफल नहीं होगी।
गोयल ने जन विश्वास 2.0 विधेयक के बारे में बात करते हुए कहा कि सरकार उद्योग जगत के लिए इसे पिछली तारीख से लागू करने का प्रयास करेगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पिछली तारीख से लागू करने में किसी तरह की नकारात्मकता नहीं होगी और केवल वैकल्पिक आधार पर पूर्व प्रभावी लाभ दिए जाएंगे।
इसके साथ ही गोयल ने कहा कि सरकार 300 अन्य कानूनों एवं नियमों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के बारे में सक्रियता से विचार कर रही है।
इस मौके पर गोयल ने देश के कारोबारी माहौल की जानकारी प्राप्त करने और सुधार को लेकर सुझाव प्राप्त करने और नजर रखने के लिए सीआईआई कारोबार सुगमता (ईओडीबी) और नियामक मामलों का पोर्टल जारी किया।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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