अमेरिकी कपास उद्योग ने छोटे स्टेपल कपास पर 11 प्रतिशत आयात शुल्क हटाने की मांग की |

अमेरिकी कपास उद्योग ने छोटे स्टेपल कपास पर 11 प्रतिशत आयात शुल्क हटाने की मांग की

अमेरिकी कपास उद्योग ने छोटे स्टेपल कपास पर 11 प्रतिशत आयात शुल्क हटाने की मांग की

:   Modified Date:  June 18, 2024 / 06:54 PM IST, Published Date : June 18, 2024/6:54 pm IST

नयी दिल्ली, 18 जून (भाषा) अमेरिकी उद्योग निकाय कॉटन काउंसिल इंटरनेशनल ने मंगलवार को सरकार से भारतीय कपड़ा उद्योग के लाभ के लिए इसकी कीमतों को कम करने के प्रयास में छोटे स्टेपल कपास पर 11 प्रतिशत आयात शुल्क हटाने का अनुरोध किया।

फरवरी में, सरकार ने 32 मिलीमीटर (मिमी) से अधिक स्टेपल लंबाई वाले कपास के लिए 10 प्रतिशत का आयात शुल्क हटा दिया था, जिसे एक्स्ट्रा लॉन्ग स्टेपल (ईएलएस) कपास भी कहा जाता है।

हालांकि, 32 मिमी से कम स्टेपल लंबाई वाले आयातित कपास पर 11 प्रतिशत का आयात शुल्क प्रभावी बना हुआ है।

एक फरवरी, 2021 को सरकार ने आयातित कपास पर 11 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की, जो दो फरवरी, 2021 से प्रभावी है। इस शुल्क में पांच प्रतिशत मूल सीमा शुल्क, पांच प्रतिशत कर और एक प्रतिशत सामाजिक कल्याण शुल्क शामिल था।

सुपिमा के अध्यक्ष और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) मार्क ए लेवकोविट्ज ने कहा कि अमेरिकी कपास उद्योग के रूप में हम अपने भागीदारों के साथ बातचीत करने और चुनौतियों की बेहतर समझ बनाने तथा सकारात्मक बदलाव को सुविधाजनक बनाने में कैसे मदद कर सकते हैं, इसपर विचार करने के लिए यहां हैं। हमारे लिए चुनौती वाले मुद्दों में से एक लगभग 11 प्रतिशत का आयात शुल्क है जो अमेरिका से आने वाले कपास के आयात पर लागू होता है।’’

यह वर्ष 2021 से लगाया जा रहा है और हम इसे अमेरिकी पीआईएमए या 32 मिमी या उससे अधिक लंबे कपास के किसी भी आयात से हटाने में सफल रहे हैं। हालांकि, यह अब भी छोटे स्टेपल के लिए आने वाले कपास पर लागू है। इसके कारण तमाम चुनौतियों में से एक घरेलू कपड़ा उद्योग पर होने वाला नकारात्मक प्रभाव है।’

कॉटन काउंसिल इंटरनेशनल द्वारा आयोजित एक गोलमेज सम्मेलन के मौके पर पीटीआई-भाषा से बात करते हुए उन्होंने तर्क दिया कि भारत एक बड़ा सूती कपड़ा उद्योग है और वह अकेले इतना कपास नहीं पैदा कर सकता कि अपनी सभी घरेलू जरूरतों को पूरा कर सके।

अनुमानों के अनुसार, ईएलएस कपास उत्पादन भारत के कपास उत्पादन का एक प्रतिशत से भी कम है और इसलिए आयातित ईएलएस कपास से उत्पाद (धागे, परिधान और घरेलू कपड़ा उत्पाद) बनाने वाली कपड़ा मिलों को लाभ होगा।

अमेरिका, मिस्र और इज़राइल भारत को ईएलएस कपास के प्रमुख आपूर्तिकर्ता बने हुए हैं।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)