अमेरिकी व्यापार नीति को लेकर अनिश्चितता से कारोबारी भरोसा, उपभोक्ता धारणा कमजोर होगी : मूडीज

अमेरिकी व्यापार नीति को लेकर अनिश्चितता से कारोबारी भरोसा, उपभोक्ता धारणा कमजोर होगी : मूडीज

अमेरिकी व्यापार नीति को लेकर अनिश्चितता से कारोबारी भरोसा, उपभोक्ता धारणा कमजोर होगी : मूडीज
Modified Date: April 13, 2025 / 11:08 am IST
Published Date: April 13, 2025 11:08 am IST

नयी दिल्ली, 13 अप्रैल (भाषा) साख निर्धारण एजेंसी मूडीज रेटिंग्स ने कहा है कि अमेरिकी की व्यापार नीति को लेकर अनिश्चिता से कारोबारी भरोसा और उपभोक्ता धारणा कमजोर होगी, जिससे भारत और अन्य एशियाई देशों की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। मूडीज रेटिंग्स ने रविवार को यह बात कही है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को छोड़कर अन्य देशों पर जवाबी शुल्क को 90 दिन के लिए टाल दिया है। हालांकि, बाकी देशों पर मूल 10 प्रतिशत का सीमा शुल्क लागू रहेगा।

मूडीज रेटिंग्स की वरिष्ठ उपाध्यक्ष (साख रणनीति और निर्देशन) निकी डांग ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘अमेरिका-चीन तनाव में बढ़ने और चीन में सुस्ती की वजह से पड़ने वाले प्रभाव एशियाई क्षेत्र की वृद्धि की संभावनाओं के लिए महत्वपूर्ण नकारात्मक जोखिम पैदा करते हैं। भारत जैसे बड़े घरेलू बाजार वाली अर्थव्यवस्थाओं को इन बाजारों तक पहुंच चाहने वाली कंपनियों से लाभ हो सकता है, लेकिन निवेश प्रवाह में कोई भी बड़ा बदलाव कई साल के दौरान होगा।’’

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मूडीज की एक अन्य कंपनी मूडीज एनालिटिक्स, ने पिछले सप्ताह 2025 के कैलेंडर साल के लिए भारत की वृद्धि दर के अपने फरवरी के अनुमान को घटाकर 6.1 प्रतिशत कर दिया है। पहले उसने 6.4 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया था।

डांग ने कहा कि शुल्क पर फिलहाल रोक ने क्षेत्र के व्यापार और वृद्धि पर अतिरिक्त शुल्क के नकारात्मक प्रभाव को कम कर दिया है। हालांकि, क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं को अब भी अतिरिक्त 10 प्रतिशत का शुल्क देना होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिकी व्यापार नीतियों के आसपास की अनिश्चितता क्षेत्र में कारोबारी भरोसे और उपभोक्ता धारणा को कमजोर करना जारी रखेगी, जिससे घरेलू मांग और वृद्धि की संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं। इसके अलावा, चीनी निर्यात पर अतिरिक्त शुल्क से उसकी वृद्धि दर प्रभावित होगी।’’

डांग ने कहा कि शुल्क पर फिलहाल रोक से वैश्विक स्तर पर चीजें खास नहीं बदलती हैं, बल्कि व्यापारिक नीति को लेकर अनिश्चितता बढ़ जाती है, क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन का अमेरिका में विनिर्माण आपूर्ति श्रृंखलाओं को फिर से स्थापित करने का लक्ष्य अब भी बना हुआ है।

हाल के घटनाक्रमों से पता चलता है कि वैश्विक व्यापार प्रणाली में बदलाव शुरू हो गए हैं, जो पहले विश्वास और नियम-आधारित थी। वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसका व्यापक प्रभाव महत्वपूर्ण हो सकता है।

भारत में निर्यातक और व्यापार विशेषज्ञ कह रहे हैं कि 90-दिन की अवधि भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण ‘खिड़की’ प्रदान करती है। दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर बातचीत कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य 2030 तक अपने व्यापार को वर्तमान के लगभग 191 अरब अमेरिकी डॉलर से दोगुना से अधिक करके 500 अरब डॉलर तक पहुंचाना है। वे इस साल सितंबर-अक्टूबर तक पहले चरण को पूरा करने का लक्ष्य बना रहे हैं।

डांग ने कहा कि 90 दिन की यह रोक सभी सरकारों को अधिक अनुकूल शर्तों के लिए बातचीत करने के लिए कुछ गुंजाइश प्रदान करती है।

उन्होंने कहा कि उच्च कुल शुल्क अब भी अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर कुछ मुद्रास्फीतिक दबाव डालते हैं। इस बीच, नीतिगत अनिश्चितताओं के कारण व्यापार और उपभोक्ता भावना कमजोर पड़ने और घरेलू मांग में कमी आने की आशंका है, जिससे वृद्धि के लिए नकारात्मक जोखिम पैदा हो सकता है।

भाषा अजय अजय

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