ट्रंप के ‘अमेरिका प्रथम’ एजेंडा से भारतीय वाहन, कपड़ा, फार्मा सामान पर बढ़ सकता है शुल्क: विशेषज्ञ

ट्रंप के 'अमेरिका प्रथम' एजेंडा से भारतीय वाहन, कपड़ा, फार्मा सामान पर बढ़ सकता है शुल्क: विशेषज्ञ

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  • Publish Date - November 6, 2024 / 05:18 PM IST,
    Updated On - November 6, 2024 / 05:18 PM IST

नयी दिल्ली, छह नवंबर (भाषा) डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने की संभावना के बीच यदि नया अमेरिकी प्रशासन ‘अमेरिका प्रथम’ एजेंडा को आगे बढ़ाने का फैसला करता है, तो भारतीय निर्यातकों को वाहन, कपड़ा और फार्मा जैसे सामान के लिए ऊंचे सीमा शुल्क का सामना करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है।

विशेषज्ञों ने कहा कि ट्रंप एच-1बी वीजा नियमों को भी सख्त कर सकते हैं, जिससे भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों की लागत और वृद्धि पर असर पड़ेगा।

भारत में 80 प्रतिशत से अधिक आईटी निर्यात आय अमेरिका से आती है, जिससे वीजा नीतियों में बदलाव के प्रति भारत संवेदनशील हो जाता है।

अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। अमेरिका से भारत का वार्षिक कारोबार 190 अरब डॉलर से अधिक है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि ट्रंप चीन के बाद अब भारत और अन्य देशों पर भी शुल्क लगा सकते हैं।

ट्रंप ने पहले भारत को ‘बड़ा शुल्क दुरुपयोगकर्ता’ कहा था और अक्टूबर, 2020 में भारत को ‘टैरिफ किंग’ करार दिया था।

उन्होंने कहा कि इन टिप्पणियों से पता चलता है कि ट्रंप का दूसरा कार्यकाल कठिन व्यापार वार्ता ला सकता है।

श्रीवास्तव ने कहा, “उनका अमेरिका प्रथम एजेंडा संभवतः सुरक्षात्मक उपायों पर जोर देगा, जैसे कि भारतीय वस्तुओं पर पारस्परिक शुल्क, जो संभवतः वाहन, शराब, कपड़ा और फार्मा जैसे प्रमुख भारतीय निर्यात के लिए बाधाएं बढ़ा सकता है। ये बढ़ोतरी अमेरिका में भारतीय उत्पादों को कम प्रतिस्पर्धी बना सकती है, जिससे इन क्षेत्रों में राजस्व प्रभावित हो सकता है।”

हालांकि, उन्होंने कहा कि चीन के प्रति अमेरिका का सख्त रुख भारतीय निर्यातकों के लिए नये अवसर पैदा कर सकता है।

दोनों देशों के बीच वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 2023-24 में 120 अरब डॉलर रहा, जबकि 2022-23 में यह 129.4 अरब डॉलर था।

अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ बिस्वजीत धर ने कहा कि ट्रंप विभिन्न क्षेत्रों में शुल्क बढ़ाएंगे क्योंकि उन्हें ‘एमएजीए’ (अमेरिका को फिर से महान बनाओ) के अपने आह्वान का पालन करना है।

धर ने कहा, ‘‘ट्रंप के सत्ता में आने के साथ हम संरक्षणवाद के एक अलग युग में प्रवेश करने जा रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों पर इसका असर पड़ सकता है।

उन्होंने कहा कि जैसा कि पहले ट्रंप ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (टीपीपी) से बाहर निकल चुके हैं, आईपीईएफ (समृद्धि के लिए हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचा) पर काले बादल छा सकते हैं। 14 देशों के इस ब्लॉक को अमेरिका और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के अन्य देशों द्वारा 23 मई, 2022 को टोक्यो में शुरू किया गया था।

भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, “हम उम्मीद कर सकते हैं कि ट्रंप अधिक संतुलित व्यापार के लिए दबाव डालेंगे। लेकिन शुल्क को लेकर व्यापार विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।”

सहाय ने कहा कि संरक्षणवाद की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए कड़े आव्रजन नियमों के साथ यह प्रवृत्ति जारी रहेगी।

भाषा अनुराग अजय

अजय