Bank of India Loan Rate: नई दिल्ली। पब्लिक सेक्टर के बैंक ऑफ इंडिया ने चुनाव से पहले अपने ग्राहकों को बड़ा झटका दिया है। दरअसल, ग्राहकों को बैंक ऑफ इंडिया से कर्ज लेना और महंगा हो जाएगा। बता दें कि बैंक ऑफ इंडिया ने लोन पर लगने वाले ब्याज दर में 0.10 फीसदी की बढ़ोतरी की है। पब्लिक सेक्टर के इस बैंक के ब्याज बढ़ाने के फैसले के बाद खुदरा समेत अन्य कर्ज महंगे होंगे। भारतीय रिजर्व बैंक पांच अप्रैल को मॉनिटरी पॉलिसी की समीक्षा की घोषणा करेगा। रिपोर्ट के अनुसार बैंक ने उससे पहले ब्याज दर में इजाफे का ऐलान कर दिया है। बैंक ऑफ इंडिया ने शनिवार को शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि नई दर एक अप्रैल से प्रभावी होगी।
इससे पहले भारत के सबसे बड़े निजी क्षेत्र के बैंक एचडीएफसी बैंक ने अपने रेपो-लिंक्ड होम लोन की ब्याज दरों में 10-15 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया है। बैंक के इस फैसले के बाद 8.70 फीसदी से 9.8 फीसदी के दायरे में ब्याज आ गया है। बैंक ने अपनी वेबसाइट पर स्पष्ट किया कि होम लोन दर में बदलाव 1 जुलाई, 2023 को एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी के विलय के कारण है और यह अब रिटेल प्राइम लेंडिंग रेट (आरपीएलआर) से जुड़ा नहीं होगा।
भारतीय रिजर्व बैंक इस सप्ताह पेश मौद्रिक नीति समीक्षा एक बार फिर नीतिगत दर को यथावत रख सकता हैं। इसका कारण आर्थिक वृद्धि को लेकर चिंता दूर होने और इसके करीब आठ प्रतिशत रहने के साथ केंद्रीय बैंक का अब और अधिक जोर मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के लक्ष्य पर लाने पर हो सकता है। विशेषज्ञों ने यह बात कही। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास की अध्यक्षता वाली एमपीसी की तीन दिवसीय बैठक तीन अप्रैल को शुरू होगी।
बैंक ने कहा कि ‘मार्क अप’ में 0.1 फीसदी की वृद्धि की है। इससे यह 2.75 फीसदी से बढ़कर 2.85 फीसदी हो गया है। वर्तमान में रेपो दर 6.5 फीसदी है। ऐसे में रेपो आधारित ब्याज दर 9.35 प्रतिशत होगी। इस बीच, सार्वजनिक क्षेत्र के इंडियन बैंक ने भी आधार और मानक प्रधान उधारी दर से संबंधित ब्याज दर में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा की है। नई दर तीन अप्रैल से प्रभावी होगी।
Bank of India Loan Rate: मौद्रिक नीति समीक्षा की की घोषणा पांच अप्रैल को की जाएगी। यह वित्त वर्ष 2024-25 की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा होगी। एक अप्रैल, 2024 से शुरू वित्त वर्ष में एमपीसी की छठ बैठकें होगी। आरबीआई ने पिछली बार फरवरी 2023 में रेपो दर बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था। उसके बाद लगातार छह द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।