नयी दिल्ली, 26 जनवरी (भाषा) बिजली उत्पादकों ने केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) के नए नियम का विरोध किया है, जिसके तहत वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने से पहले ग्रिड को आपूर्ति की जाने वाली बिजली के लिए कोई भुगतान अनिवार्य नहीं किया गया है। इससे बिजली उत्पादकों को भारी नुकसान होने का अंदेशा है।
बिजली उत्पादकों के एक संगठन ने 23 जनवरी को ‘इन्फर्म पावर’ से संबंधित नए प्रावधान पर सीईआरसी को पत्र लिखकर इस नियम की समीक्षा की मांग की है। इन्फर्म पावर से आशय वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने से पहले ग्रिड को बिजली की आपूर्ति से है।
इन्फर्म पावर के लिए भुगतान न करने के फैसले से उत्पादकों को भारी नुकसान होगा। ताप-विद्युत उत्पादकों को संयंत्र में वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने से पहले छह से 12 माह की परीक्षण की अवधि के दौरान 1,000 करोड़ रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं।
बिजली उत्पादक संघ ने सीईआरसी को लिखा, “सभी उत्पादन स्टेशनों को परीक्षण और उत्पादन को चालू करने की गतिविधियों को पूरा करने में गंभीर वित्तीय बाधाओं का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि ईंधन व्यय के लिए धन का कोई स्रोत नहीं होगा। आमतौर पर, ऋणदाता ईंधन व्यय का वित्तपोषण नहीं करते हैं।”
इससे पहले, नियामकीय व्यवस्था में वाणिज्यिक उत्पादन से पहले ग्रिड में डाली गई बिजली पर ईंधन व्यय के लिए कुछ मूल्य/लागत की वसूली की अनुमति थी।
भाषा अनुराग अजय
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