एकीकृत पेंशन योजना से सरकारी खजाने पर 6,250 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा

एकीकृत पेंशन योजना से सरकारी खजाने पर 6,250 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा

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  • Publish Date - August 25, 2024 / 08:20 PM IST,
    Updated On - August 25, 2024 / 08:20 PM IST

नयी दिल्ली, 25 अगस्त (भाषा) एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) से सरकारी खजाने पर प्रति वर्ष 6,250 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

इस योजना के तहत 23 लाख पात्र केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को सुनिश्चित पेंशन दी जाएगी।

यूपीएस एक अप्रैल, 2025 से प्रभावी होने पर सरकार के योगदान को मौजूदा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 18.5 प्रतिशत करने का इरादा रखती है।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकारी योगदान में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि से सरकार को 6,250 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च होने का अनुमान है।

सरकार यूपीएस के तहत अपना योगदान बढ़ा रही है, लेकिन कर्मचारियों का योगदान मूल वेतन के 10 प्रतिशत पर बरकरार रहेगा। इसके अलावा, 31 मार्च, 2025 से पहले सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत 800 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान किया जाना है। ये सेवानिवृत्त कर्मचारी यदि यूपीएस का विकल्प चुनते हैं, तो उन्हें बकाया राशि मिलेगी।

एनपीएस एक अंशदायी योजना है, जबकि इससे पहले की पेंशन योजना में सरकार ने अंतिम मूल वेतन का 50 प्रतिशत भुगतान करने का वादा किया था। एनपीएस एक जनवरी, 2004 से लागू हुई थी।

दूसरी ओर यूपीएस सेवा अवधि के आधार पर सुनिश्चित पेंशन देने करने की परिकल्पना करती है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा शनिवार को स्वीकृत योजना के जरिए हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों से पहले सरकारी कर्मचारियों की लंबे समय से लंबित मांगों को पूरा किया गया है।

एनपीएस के तहत आने वाले कर्मचारी यूपीएस का विकल्प चुन सकते हैं। एक बार विकल्प चुनने के बाद वापस इसे बदलने का विकल्प नहीं होगा।

यूपीएस का विकल्प चुनने वाले कर्मचारी न्यूनतम 25 वर्ष की सेवा पूरी करने पर सेवानिवृत्ति से पहले अंतिम 12 महीनों में मिले औसत मूल वेतन के 50 प्रतिशत की सुनिश्चित पेंशन के लिए पात्र होंगे।

दूसरी ओर 25 वर्ष से कम सेवा अवधि वाले कर्मचारियों के लिए पेंशन न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा अवधि तक आनुपातिक रूप से तय होगी।

भाषा पाण्डेय

पाण्डेय