लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित हुए पुस्तैनी व्यापार, ‘देसी फ्रिज’ नाम से मशहूर मिट्टी के घड़े और सुराही ने दी बाजार में दस्तक

लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित हुए पुस्तैनी व्यापार, 'देसी फ्रिज' नाम से मशहूर मिट्टी के घड़े और सुराही ने दी बाजार में दस्तक

  •  
  • Publish Date - May 18, 2020 / 04:33 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:19 PM IST

कोरिया। इलेक्ट्रानिक फ्रिज को मात देने वाले चंदिया के घड़े और सुराही लॉक डाउन में कुछ दिनों पहले से मनेन्द्रगढ़ में सड़क किनारे दिखाई दे रहे हैं। गर्मी के सीजन में मिट्टी के घड़े और सुराही बहुत बिकते हैं । एमपी के उमरिया जिले के चंदिया के घड़े और सुराही की कोरिया जिले में बहुत डिमांड रहती है । गर्मी के सीजन में यह बहुत इस्तेमाल होते हैं। फ्रीज की तुलना में हर तबका इसे खरीद भी लेता है।

ये भी पढ़े: लॉकडाउन 4.0 के पहले दिन सोने-चांदी की कीमतों में रिकार्ड बढ़त, जानिए भाव

गर्मी का सीजन आते ही सड़क किनारे चंदिया से आये लोग दुकान लगाए मिल जाते थे, पर इस बार लॉक डाउन के चलते ये लेट में आ पाए। मिट्टी के घड़े और सुराही में चंदिया ब्रांड बन चुका है। हर साल चंदिया से आकर मनेन्द्रगढ़ में लोग इसे बेचते हैं क्योंकि यहां इनकी डिमांड रहती है। इन दिनों लोग घर से निकल रहे हैं और सड़क किनारे लगी इन दुकानों में रुककर घड़े या सुराही ले जा रहे हैं।

ये भी पढ़े: एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति ‘जैक मा’ ने इस कंपनी से दिया इस्तीफा, को…

मिट्टी के घड़े में पानी शीतल रहता है और इसमें रखे जल को पीने से इस तपती गर्मी में तृप्ति भी जल्दी मिल जाती है। चंदिया के नाम से ही सारे घड़े सुराही बिक जाते हैं। चंदिया के मिट्टी की अलग खासियत है इसलिए कई सालों से लोगों में चंदिया की मिट्टी से बनाये गए घड़ों की खूब डिमांड रहती है। इन्हें चंदिया से लाकर बेचने वालों का कहना है कि घड़े में पानी से भी मिट्टी की सोंधी खुशबू आती है ये अच्छे होते हैं और इनमें पानी शीतल होता है।

ये भी पढ़े: राजधानी में व्यावसायिक और सामान्य गतिविधियों को सशर्त अनुमति, प्रश…

लॉकडाउन का असर भी इस बार व्यापार पर पड़ा है, ऐसे में इन्हें बेचने वाले दुकानदारों का कहना है कि लॉकडाउन का असर ज्यादा पड़ा है। तीन महीने पहले से गर्मी के सीजन के लिए ये बनाए जाते हैं और इस समय तक बिक जाते हैं लेकिन लॉकडाउन के चलते अब तक नहीं बिक सके हैं, इन्हें बेचने परिवार के साथ आये लोग सड़क किनारे छोटे छोटे बच्चों को लेकर किसी तरह रहकर अपना जीवकोपार्जन करते हैं।