नयी दिल्ली, 14 जनवरी (भाषा) उद्योग संगठन के निकाय ‘सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ (सीओएआई) ने मंगलवार को कहा कि 6 गीगाहर्ट्ज बैंड में दूरसंचार स्पेक्ट्रम का आवंटन नहीं होने से उच्च गति वाली 5जी सेवाओं के लिए रेडियो तरंगों की कमी आ सकती है।
देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था और उभरती प्रौद्योगिकियों, खासकर कृत्रिम मेधा (एआई) के विकास के लिए 5जी सेवाएं प्रमुख चालक हैं।
सीओएआई के महानिदेशक एस. पी. कोचर ने वैश्विक दूरसंचार उद्योग जीएसएमए का हवाला देते हुए ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ बातचीत में बताया कि भारत को ‘आईएमटी-2020’ के अंतरराष्ट्रीय मानक को पूरा करने के लिए अतिरिक्त 2 गीगाहर्ट्ज ‘मिड-बैंड’ स्पेक्ट्रम की जरूरत है, ताकि घनी आबादी वाले शहरों में ‘डाउनलिंक’ पर 100 मेगाबिट प्रति सेकेंड (एमबीपीएस) और ‘अपलिंक’ पर 50 एमबीपीएस की डेटा दर सुनिश्चित की जा सके।
कोचर ने कहा, ‘‘ जबकि सरकार 5जी/6जी उपयोग के लिए सी-बैंड, यानी 3,670-4,000 मेगाहर्ट्ज में स्पेक्ट्रम खाली करने पर विचार कर रही है। हालांकि, ‘मिड-बैंड’ में आईएमटी (5जी/6जी) के लिए आवश्यक 2 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम तक पहुंचने के लिए यह पर्याप्त नहीं होगा। इसलिए हम इस तथ्य पर जोर देना चाहते हैं कि भारत में मोबाइल संचार के लिए 6 गीगाहर्ट्ज बैंड में उपलब्ध 1,200 मेगाहर्ट्ज का सबसे इष्टतम आवंटन किया जाए, ताकि ‘मिड-बैंड’ में इस महत्वपूर्ण 2 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम को प्राप्त किया जा सके।’’
वाई-फाई सेवा प्रदाता 6 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम को लाइसेंस मुक्त करने की मांग कर रहे हैं, जिससे यह तरंग इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने के लिए उपयोगी हो जाएगी।
‘सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ (सीओएआई) के सदस्यों में भारती एयरटेल, रिलायंस जियो, वोडाफोन आइडिया आदि शामिल हैं। इन्होंने इस स्पेक्ट्रम को लाइसेंस मुक्त करने का विरोध किया है।
कोचर ने कहा, ‘‘ वाणिज्यिक मूल्य वाले स्पेक्ट्रम का लाइसेंस रद्द करने से राष्ट्रीय कोष को नुकसान होगा। हम दोहराते हैं कि वाई-फाई 7 प्रौद्योगिकियों के लिए 6 गीगाहर्ट्ज बैंड का लाइसेंस रद्द करने की मांग अनुचित है, क्योंकि वाई-फाई 7 स्पेक्ट्रम से स्वतंत्र है और इसलिए बेहतर प्रदर्शन प्रदान करने के लिए अन्य स्पेक्ट्रम बैंड का उपयोग कर सकता है।’’
सरकार ने पहले ही 5 गीगाहर्ट्ज बैंड में 605 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम का लाइसेंस रद्द कर दिया है।
सीओएआई महानिदेशक ने कहा कि अमेरिका जैसे कई देशों ने महसूस किया है कि स्पेक्ट्रम का लाइसेंस हटाना एक अपरिवर्तनीय प्रक्रिया है और इसलिए इस तरह के किसी भी निर्णय पर गहन विचार-विमर्श के साथ जांच की जानी चाहिए। भारत में 6 गीगाहर्ट्ज बैंड सहित किसी भी 5जी स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए व्यापक स्तर पर प्रौद्योगिकी-आर्थिक विश्लेषण अनिवार्य है।
भाषा निहारिका मनीषा
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