नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर (भाषा) बैंकिंग क्षेत्र में कृत्रिम मेधा और मशीन लर्निंग (एआई-एमएल) पर अत्यधिक निर्भरता से चिंतित भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने सोमवार को कहा कि ऋणदाताओं को बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों (बिगटेक) की खूबियों का लाभ उठाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि एआई और एमएल जैसी नवीनतम प्रौद्योगिकी प्रगति ने वित्तीय संस्थानों के लिए कारोबार और लाभ विस्तार के नए रास्ते खोले हैं। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ये प्रौद्योगिकियां वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम भी पैदा करती हैं।
यहां केंद्रीय बैंक द्वारा आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “एआई पर भारी निर्भरता से संकेन्द्रण जोखिम पैदा हो सकता है, खासकर तब जब बाजार पर कम संख्या में प्रौद्योगिकी प्रदाताओं का दबदबा हो। इससे प्रणालीगत जोखिम बढ़ सकता है, क्योंकि इन प्रणालियों में विफलता या व्यवधान पूरे वित्तीय क्षेत्र में फैल सकता है।”
उन्होंने कहा कि एआई के बढ़ते उपयोग से नई कमज़ोरियां सामने आती हैं। इससे साइबर हमलों और डेटा उल्लंघन का जोखिम बढ़ता है।
इसके अलावा, एआई की अस्पष्टता के कारण निर्णय लेने वाले एल्गोरिदम का ऑडिट करना या व्याख्या करना मुश्किल हो जाता है। इससे अप्रत्याशित परिणाम हो सकते हैं।
उन्होंने कहा, “बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को इन सभी जोखिमों के खिलाफ पर्याप्त जोखिम बचाव उपाय करने चाहिए। अंतिम विश्लेषण में, बैंकों को एआई और बिगटेक का लाभ उठाना चाहिए और बिगटेक को उनका लाभ नहीं उठाने देना चाहिए।”
वित्तीय सेवाओं के बढ़ते डिजिटलीकरण ने दुनियाभर में वित्तीय क्षेत्र की दक्षता को बढ़ाया है, लेकिन साथ ही कई चुनौतियां भी सामने आई हैं, जिनसे केंद्रीय बैंकों को निपटना होगा।
डिजिटलीकरण के जोखिम के बारे में बात करते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा कि आधुनिक दुनिया में सोशल मीडिया की गहरी उपस्थिति और ऑनलाइन बैंकिंग तक व्यापक पहुंच के साथ सेकंड में धन हस्तांतरण के कारण अफवाहें और गलत सूचनाएं बहुत तेजी से फैल सकती हैं और इससे नकदी संकट पैदा हो सकता है।
भाषा अनुराग अजय
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