सिंधु जल संधि के निलंबन से पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था पर पड़ेगी तगड़ी मारः विशेषज्ञ

सिंधु जल संधि के निलंबन से पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था पर पड़ेगी तगड़ी मारः विशेषज्ञ

सिंधु जल संधि के निलंबन से पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था पर पड़ेगी तगड़ी मारः विशेषज्ञ
Modified Date: April 24, 2025 / 05:09 pm IST
Published Date: April 24, 2025 5:09 pm IST

नयी दिल्ली, 24 अप्रैल (भाषा) सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को निलंबित करने के भारत के फैसले से पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था पर गंभीर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण जल डेटा साझाकरण बाधित होने, प्रमुख फसल मौसमों के दौरान पाकिस्तान को पानी की आपूर्ति कम होने और कृषि क्षेत्र को भारी नुकसान होने की आशंका जताई है।

हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि सिंधु नदी जल संधि को निलंबित करने का दीर्घकालिक प्रभाव इस पर निर्भऱ करेगा कि पश्चिमी नदियों के पानी का पूर्ण उपयोग करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे को विकसित करने में भारत को एक दशक या उससे अधिक समय लग सकता है।

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 लोगों के मारे जाने के बाद भारत सरकार ने दशकों पुरानी सिंधु जल संधि को निलंबित करने का फैसला किया है।

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वर्ष 1960 में हस्ताक्षरित इस संधि के तहत पूर्वी नदियों- सतलज, ब्यास और रावी, भारत को आवंटित की गईं जबकि पश्चिमी नदियां- सिंधु, झेलम और चिनाब पाकिस्तान को सौंपी गई थीं।

हालांकि इस संधि में एकतरफा निलंबन की अनुमति देने वाला कोई प्रावधान नहीं है। विशेषज्ञों ने इस समझौते से जुड़ी कानूनी जटिलताओं, भारत के भौगोलिक लाभ और पाकिस्तान के लिए संभावित रूप से गंभीर आर्थिक परिणामों की ओर ध्यान दिलाया है।

साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपुल (एसएएनडीआरपी) के हिमांशु ठक्कर ने कहा कि संधि में एकतरफा निलंबन का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि पूर्वी नदियों पर भारत पहले से ही अपने आवंटित हिस्से का अधिकांश उपयोग कर रहा है, जबकि पश्चिमी नदियों के मामले में बुनियादी ढांचा न होने से भारत तुरंत पानी का प्रवाह रोकने में सक्षम नहीं है।

चेनाब बेसिन क्षेत्र में चल रही परियोजनाओं को पूरा होने में पांच साल से लेकर सात साल तक लगने का अनुमान है। उसके बाद ही भारत के पास जल प्रवाह को नियंत्रित करने की व्यवस्था मौजूद होगी।

विशेषज्ञों का कहना है कि पहले से ही गंभीर आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था इस संभावित संकट से और अधिक दबाव में आ सकती है। कृषि का पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 22.7 प्रतिशत का योगदान है और यह 37.4 प्रतिशत कार्यबल को रोजगार देती है।

पर्यावरण कार्यकर्ता श्रीपद धर्माधिकारी ने कहा कि पूरे सिंधु बेसिन की कृषि और अर्थव्यवस्था नदी के पानी पर अत्यधिक निर्भर है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट कहती है कि सिंधु प्रणाली पाकिस्तान की 90 प्रतिशत खाद्य फसलों की सिंचाई करती है।

धर्माधिकारी ने यह भी चेतावनी दी कि भारत पानी के प्रवाह को तेजी से मोड़ने में सक्षम नहीं है, क्योंकि इसके लिए आवश्यक प्रमुख बुनियादी ढांचे का अभाव है। हालांकि उन्होंने कहा कि जलाशय संचालन में बदलाव करके कुछ नदियों में पर्यावरणीय प्रवाह को रोकने जैसे अल्पकालिक तरीके आजमाए जा सकते हैं।

सिंधु जल के लिए पूर्व भारतीय आयुक्त पी के सक्सेना ने शोध संस्थान नैटस्ट्रैट से कहा है कि भारत को पश्चिमी नदियों पर विकास को तेज कर, संधि पर नए सिरे से बातचीत में सक्रियता दिखाते हुए और पाकिस्तान की चुनिंदा व्याख्याओं को चुनौती देकर रणनीतिक रूप से जवाब देना चाहिए।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण


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