नयी दिल्ली, चार नवंबर (भाषा) तेल एवं गैस क्षेत्र को दी जाने वाली सब्सिडी 2013 के 25 अरब डॉलर से 85 प्रतिशत घटकर 2023 तक 3.5 अरब डॉलर रह गई है। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने सोमवार को एक आधिकारिक टिप्पणी में यह जानकारी दी।
मंत्रालय ने कहा कि 2010 से भारत ने जीवाश्म ईंधन सब्सिडी में लगातार सुधार किया है और इस संबंध में ‘‘हटाओ, लक्षित करो और स्थानांतरित करो’’ का नजरिया अपनाया है।
मंत्रालय ने कहा कि एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की एक रिपोर्ट के अनुसार खुदरा कीमतों, कर दरों और चुनिंदा पेट्रोलियम उत्पादों पर सब्सिडी को समायोजित करने के चलते तेल और गैस क्षेत्र में राजकोषीय सब्सिडी 10 साल में 85 प्रतिशत घटकर 2023 तक 3.5 अरब डॉलर रह गई। यह आंकड़ा 2013 में 25 अरब डॉलर के उच्चस्तर पर था।
टिप्पणी में कहा गया, ‘‘इस दौरान एक महत्वपूर्ण कदम पेट्रोल और डीजल सब्सिडी को धीरे-धीरे समाप्त करना था। साथ ही कर में वृद्धि भी की गई। इन सुधारों ने नवीकरणीय ऊर्जा पहल, इलेक्ट्रिक वाहन और महत्वपूर्ण बिजली बुनियादी ढांचे में अधिक सरकारी समर्थन के लिए राजकोषीय गुंजाइश तैयार की।’’
सरकार ने 2014 से 2017 तक पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाकर कर राजस्व में वृद्धि की। इस अतिरिक्त राजस्व की मदद से लक्षित सब्सिडी दी गई, जिससे गांवों तक तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) की पहुंच बढ़ी।
भाषा पाण्डेय अजय
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