नयी दिल्ली, 13 जून (भाषा) सीमा शुल्क, जीएसटी, वाणिज्य में रणनीतिक सुधार से भारत की समावेशी समावेशी वृद्धि सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
आर्थिक शोध संस्थान ‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव’ (जीटीआरआई) ने कहा कि भारत परिवर्तनकारी युग के मुहाने पर खड़ा है और व्यापक आर्थिक सुधारों की तत्काल आवश्यकता है।
जीटीआरआई के अनुसार, ‘‘ जटिल सीमा शुल्क संरचना को सरल बनाने से लेकर क्रिप्टोकरेंसी के लिए अग्रणी विनियामक सैंडबॉक्स तक और जीएसटी (माल व सेवा कर) सुधारों के जरिए एमएसएमई (लघु, कुटीर एवं मझोले उपक्रम) क्षेत्र को बढ़ावा देने से लेकर हमारी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने तक यह एजेंडा एक मजबूत, जुझारू और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी भारत की नींव रखता है।’’
आर्थिक शोध संस्थान ने कहा कि वर्तमान बुनियादी सीमा शुल्क संरचना जो 680 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य के आयात को प्रभावित करती है उसकी 20 वर्षों में समीक्षा नहीं की गई है। इस कारण 27 से अधिक विभिन्न शुल्क दरें और 100 से अधिक विशिष्ट या मिश्रित शुल्क ‘स्लैब’ हैं।
इसमें कहा गया कि 1.5 करोड़ रुपये से कम टर्नओवर वाली कंपनियां 80 प्रतिशत से अधिक पंजीकरण कराती हैं। हालांकि संग्रहित कर में उनका योगदान सात प्रतिशत से भी कम है। 1.5 करोड़ रुपये का वार्षिक टर्नओवर 12-13 लाख मासिक टर्नओवर के बराबर है, जो 10 प्रतिशत लाभ मुनाफे पर मात्र 1.2 लाख रुपये बैठता है।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ नई सीमा जीएसटी प्रणाली पर करदाताओं के बोझ को 1.4 करोड़ से घटाकर 23 लाख से कम कर देगी, जिससे 100 प्रतिशत अनुपालन के लिए ‘बिल’-मिलान की शुरुआत हो सकेगी। इससे फर्जी बिल और कर चोरी पर रोक लगेगी। कर संग्रह में वृद्धि से सात प्रतिशत कर घाटे की भरपाई हो जाएगी।’’
इसने सरकार से कम मूल्यवर्धित इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को प्रोत्साहन न देने को भी कहा।
आर्थिक शोध संस्थान ने सरकार से कम मूल्य वर्धित इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को प्रोत्साहन न देने का भी सुझाव दिया।
चीनी ईवी पर अमेरिका और यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के कारण, चीन अपना ध्यान भारत सहित दक्षिण पूर्व एशियाई बाजारों पर केंद्रित कर रहा है।
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