उद्योग जगत की मांग पर पूंजीगत लाभ कर को तर्कसंगत बनाने का कदमः राजस्व सचिव

उद्योग जगत की मांग पर पूंजीगत लाभ कर को तर्कसंगत बनाने का कदमः राजस्व सचिव

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  • Publish Date - July 26, 2024 / 04:32 PM IST,
    Updated On - July 26, 2024 / 04:32 PM IST

नयी दिल्ली, 26 जुलाई (भाषा) राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष के बजट में विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों पर पूंजीगत लाभ कर को तर्कसंगत बनाने का प्रस्ताव राजस्व बढ़ाने के लिए नहीं बल्कि कर व्यवस्था को सरल बनाने की उद्योग जगत की मांग पर लाया गया है।

राजस्व सचिव ने उद्योग मंडलों सीआईआई और एसोचैम के सदस्यों को संबोधित करते हुए यह जानना चाहा कि क्या उद्योग जगत विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों के लिए कर की अलग-अलग दरों के पक्ष में है?

मंगलवार को संसद में पेश वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में अल्पकालिक और दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर के लिए विभिन्न परिसंपत्तियों को रखने की अवधि को तर्कसंगत बनाया गया है। सभी सूचीबद्ध परिसंपत्तियों के लिए होल्डिंग अवधि अब दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर (एलटीसीजी) के लिए एक वर्ष कर दी गई है जबकि गैर-सूचीबद्ध शेयरों, डिबेंचर और रियल एस्टेट के मामले में एलटीसीजी के लिए होल्डिंग अवधि दो साल है।

दरों के संदर्भ में एलटीसीजी को महंगाई के प्रभाव को समाहित करने वाले (इंडेक्सेशन) लाभ के बगैर सभी परिसंपत्ति वर्गों के लिए 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे पहले प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी)-भुगतान वाली इक्विटी को छोड़कर सभी परिसंपत्ति वर्गों के लिए यह दर 20 प्रतिशत थी। अचल संपत्ति के मामले में यह इंडेक्सेशन के साथ 20 प्रतिशत थी।

करों में किए गए बदलावों पर उठे विवादों के बीच मल्होत्रा ​​ने कहा, ‘पूंजीगत लाभ कर में परिवर्तन एक सरलीकरण उपाय है और राजस्व वृद्धि का कदम नहीं है। इससे राजस्व में वृद्धि हुई है लेकिन वह बहुत ही मामूली है। यह करों को सरल बनाने की पहल है जिसकी आप सभी (उद्योग) ने मांग की थी।’

संशोधित एलटीसीजी कर संरचना ने विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों के लिए कर मध्यस्थता को हटा दिया है।

उन्होंने सरलीकरण से अनुपालन बोझ में कमी आने का जिक्र करते हुए कहा कि करों को सरल बनाने का मतलब यह नहीं है कि हर मामले में कर बोझ कम हो जाएगा और करदाता को हर पहलू में लाभ ही होगा, चाहे वह होल्डिंग अवधि हो या सबसे कम दरें हों।

मल्होत्रा ​​ने कहा, ‘ऐसा नहीं होगा क्योंकि आखिरकार सरकार को भी राजस्व की जरूरत है। इसलिए जब आप सरलीकरण की मांग कर रहे हैं तो हमें इस बात के लिए भी तैयार रहना चाहिए कि कुछ चीजें बढ़ेंगी और कुछ चीजें घटेंगी। लेकिन सरलीकरण के अपने लाभ हैं।’

उन्होंने उद्योग से पूछा कि क्या शेयरों को बेचने से होने वाले लाभ और समान अवधि के लिए रखे गए डिबेंचर या रियल एस्टेट संपत्तियों को बेचने से होने वाले लाभ पर कर की दर अलग-अलग होनी चाहिए।

मल्होत्रा ​​ने कहा, ‘मैं आपसे यह सवाल पूछता हूं और आप खुद ही सोचिए। क्या इन दो परिसंपत्ति वर्गों या किसी अन्य परिसंपत्ति वर्ग पर कर अलग-अलग होना चाहिए?’

इक्विटी पर पहले दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर 10 प्रतिशत था जिसमें एक लाख रुपये तक की आय पर छूट थी। बजट में इस दर को बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत करते हुए अन्य परिसंपत्ति वर्गों के समान लाया गया है। छूट की सीमा भी बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये प्रति वर्ष कर दी गई है।

मल्होत्रा ​​ने कहा कि भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने बजट से पहले सरकार को दिए अपने ज्ञापन में एलटीसीजी पर दो कर दरें रखने की मांग की थी लेकिन बजट में केवल एक कर दर लाकर इस व्यवस्था को अधिक तर्कसंगत बना दिया गया है।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण