निजी भूमि पर उगे सागौन की कटाई में छूट दें राज्य सरकारेंः ईएसी-पीएम

निजी भूमि पर उगे सागौन की कटाई में छूट दें राज्य सरकारेंः ईएसी-पीएम

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  • Publish Date - September 27, 2024 / 04:13 PM IST,
    Updated On - September 27, 2024 / 04:13 PM IST

नयी दिल्ली, 27 सितंबर (भाषा) प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) ने सुझाव दिया है कि राज्य सरकारों को निजी भूमि पर उगाए गए पेड़ों के लिए कटाई और पारगमन परमिट लेने की जरूरत से सागौन, गुर्जन और मेरांती जैसी देशी लकड़ी की उच्च मूल्य वाली प्रजातियों को छूट देनी चाहिए।

ईएसी-पीएम ने ‘कृषि वानिकी: वनों के लिए लुप्त वृक्ष’ शीर्षक वाले एक अध्ययन पत्र में कहा कि इससे किसानों के लिए अपनी भूमि पर इन उच्च मूल्य वाली देशी प्रजातियों को उगाना आसान हो जाएगा और भारत के देशी वनों पर दबाव कम होगा।

अध्ययन पत्र के मुताबिक, संरक्षण-आधारित वन नीतियों की चुनौती से निपटने के लिए राज्य सरकारों को निजी भूमि पर उगाए गए पेड़ों के लिए कटाई और पारगमन परमिट प्राप्त करने की आवश्यकता से सागौन, गुरजन और मेरांती जैसी उच्च मूल्य वाली देशी लकड़ी की प्रजातियों को छूट देनी चाहिए।

इसमें पारगमन और कटाई परमिट पाने के लिए एकसमान प्रक्रिया के साथ केंद्रीय स्तर पर एकल खिड़की मंजूरी देने की भी वकालत की गई है। इसके अलावा भारत को सागौन आयातक से एक प्रमुख निर्यातक बनाने के लिए भूमि के स्वामित्व के बजाय पेड़ों के स्वामित्व को साबित करने के लिए एक सरकारी आदेश की सिफारिश की गई है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, देश की कठोर, जटिल और बोझिल नियामकीय नीति वानिकी के लिए संरक्षण-आधारित दृष्टिकोण के साथ मिलकर भारत में कृषि वानिकी के विकास को रोक रही है। इस नीति में सुझाए गए बदलाव भारत को सागौन आयातक से एक प्रमुख निर्यातक बनने की राह पर ले जाएंगे, किसानों की आय बढ़ेगी और मिट्टी की कार्बन स्थिति बेहतर होगी।

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि पेड़ों की कटाई से संबंधित कई अधिनियमों और विभिन्न नियमों के कारण किसानों के लिए राष्ट्रीय पारगमन पास प्रणाली (एनटीपीएस) का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए। इसमें कटाई परमिट को भी शामिल किया जाना चाहिए ताकि एकल-खिड़की निकासी प्रणाली बन सके।

भारत एक उष्णकटिबंधीय देश होने के बावजूद कृषि वानिकी से जुड़ी नीतियों के कारण लकड़ी का शुद्ध आयातक बना हुआ है। देश ने 2023 में 2.7 अरब डॉलर से अधिक मूल्य की लकड़ी का आयात किया जो उस साल के सभी कृषि-आधारित आयातों का लगभग 12 प्रतिशत है।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण