कम आवक से सोयाबीन तिलहन, बिनौला तेल और मूंगफली तेल-तिलहन में सुधार |

कम आवक से सोयाबीन तिलहन, बिनौला तेल और मूंगफली तेल-तिलहन में सुधार

कम आवक से सोयाबीन तिलहन, बिनौला तेल और मूंगफली तेल-तिलहन में सुधार

:   Modified Date:  September 4, 2024 / 08:29 PM IST, Published Date : September 4, 2024/8:29 pm IST

नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) निरंतर बरसात के कारण मंडियों में कम आवक की वजह से देश के तेल-तिलहन बाजारों में बुधवार को सोयाबीन तिलहन, बिनौला तेल और मूंगफली तेल-तिलहन में सुधार देखने को मिला जबकि सामान्य कारोबार के बीच सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन के दाम पूर्ववत बने रहे।

बाजार सूत्रों ने बताया कि महाराष्ट्र के लातूर, सांगली जैसी जगहों पर 10-15 सितंबर के आसपास सोयाबीन की थोड़ी बहुत आवक शुरू होती रही है लेकिन इस बार बरसात के कारण इस फसल आने के बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है। बरसात की वजह से मूंगफली की भी आवक कम है। इसके अलावा त्योहारी मौसम की मांग सामने है। जिससे मूंगफली तेल-तिलहन और बिनौला तेल में सुधार है। सोयाबीन के डी-आयल्ड केक (डीओसी) की स्थानीय मांग है और राजस्थान के कोटा में इसका भाव 3,900 रुपये क्विंटल से बढ़कर 4,000 रुपये क्विंटल होने से सोयाबीन तिलहन में भी सुधार है।

मलेशिया और शिकॉगो एक्सचेंज में मामूली घट-बढ़ है। रात शिकॉगो एक्सचेंज दो प्रतिशत से ज्यादा टूटा था। इस वजह से भी सोयाबीन तेल के दाम पूर्वस्तर पर बने हुए हैं।

सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन जैसे नरम तेल से भी महंगा होने के कारण देश में सीपीओ का आयात कम हो रहा है। दूसरा अक्टूबर में जो सोयाबीन फसल आनी है उसकी आवक में बरसात की वजह से विलंब होने की संभावना है। अक्टूबर में त्योहारी मांग बढ़ेगी और तिलहन फसलों की आवक के दौरान आयात भी कम होने की उम्मीद है। उक्त कारणों से अगले महीने त्योहारी दिनों में खाद्य तेलों विशेषकर सोयाबीन तेल सहित कुछ अन्य तेलों की कमी होने की आशंका जताई जा रही है।

सूत्रों ने कहा कि सरकार को उन तत्वों को उजागर करना चाहिये जिन्होंने पिछले कई वर्षों से खाद्य तेलों की महंगाई की बात कर आज देश के तेल-तिलहन उद्योग को बीमार हालत में ला दिया है जहां देश मौजूदा वक्त में आयात पर पूरी तरह से निर्भर होने की ओर बढ़ चला है। भारी खाद्य तेल आयात के लिए देश को बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है। ऐसे प्रवक्ताओं के हित किस जगह जुड़े हैं और उनकी मंशा क्या है, इसकी खोज बीन की जानी चाहिये।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,250-6,290 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,600-6,875 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,560 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,350-2,650 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 12,350 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,980-2,080 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,980-2,095 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,575 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,175 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,750 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 9,350 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,300 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,550 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,750 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,770-4,800 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,570-4,705 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,200 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)