डीओसी की कमजोर मांग से देश में सोयाबीन तेल-तिलहन के दाम टूटे, सरसों में भी गिरावट

डीओसी की कमजोर मांग से देश में सोयाबीन तेल-तिलहन के दाम टूटे, सरसों में भी गिरावट

  •  
  • Publish Date - November 6, 2024 / 09:35 PM IST,
    Updated On - November 6, 2024 / 09:35 PM IST

नयी दिल्ली, छह नवंबर (भाषा) विदेशों में सोयाबीन के डी-आयल्ड केक (डीओसी) की कमजोर मांग के कारण देश के थोक तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को सोयाबीन तेल-तिलहन के दाम में गिरावट दर्ज हुई। इसके अलावा सहकारी संस्थाओं… नाफेड और हाफेड की बिकवाली के कारण सरसों तेल-तिलहन कीमतों में भी गिरावट आई। सामान्य कारोबार के बीच बाकी तेल-तिलहनों के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।

मलेशिया और शिकॉगो एक्सचेंज में तेजी का रुख है।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि विदेशों में बायो ईंधन के उत्पादन में तेल-तिलहन का उपयोग बढ़ने के बाद वहां के बाजार तेज हो रहे हैं। इसका इस्तेमाल बढ़ने की वजह से विदेशों में सोयाबीन डीओसी की पर्याप्त उपलब्धता हो रही है और ऐसे में देश के ऊंचे दाम वाले डीओसी का निर्यात प्रभावित हो रहा है। मजबूरन किसानों को सोयाबीन तिलहन 4,892 रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 10-12 प्रतिशत कम दाम पर लगभग 4,200-4,300 रुपये क्विंटल के भाव बेचना पड़ रहा है। यही हाल मूंगफली और सूरजमुखी का भी है जो एमएसपी से नीचे दाम पर बिक रहे हैं। देश में तेल-तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के ध्येय को ध्यान में रखते हुए इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। सरकार को सोयाबीन डीओसी के निर्यात को बढ़ाने के लिए सब्सिडी देनी चाहिये।

उन्होंने कहा कि राजस्थान में तो मूंगफली तेल पामोलीन से भी नीचे के थोक दाम पर बिक रहा है। किसान इससे अधिक नीचे दाम पर बेचने की स्थिति में नहीं हैं। इस वजह से मूंगफली तेल-तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर हैं।

सहकारी संस्था नाफेड और हाफेड निरंतर अपने स्टॉक किये गये सरसों की बिकवाली करने में लगे हैं जो सरसों तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट का प्रमुख कारण है।

उन्होंने कहा कि वैसे किसानों के पास सरसों का स्टॉक बहुत नहीं है और ज्यादातर माल नाफेड और हाफेड जैसी सहकारी संस्थाओं के पास ही है। सरकार को इस बात का ध्यान रखना होगा कि वह सरसों की बिक्री में तेल मिल वालों को तवज्जो दे क्योंकि वे तेल पेराई कर बाजार में बेचेंगे। लेकिन व्यापारियों या स्टॉकिस्टों को बेचने की स्थिति में वे इसका आगे के लिए स्टॉक कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि एक अनुमान के अनुसार सरसों का कोई अधिक स्टॉक नहीं है तथा भविष्य में मांग वृद्धि के अनुमान को देखते हुए स्टॉकिस्ट फायदा लेने के लिए सरसों का स्टॉक जमा कर ले सकते हैं।

सूत्रों ने कहा कि बाकी तेल-तिलहनों का दाम रुके होने की वजह से सीपीओ और पामोलीन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे। बाकी तेलों की तरह बिनौला तेल भी पूर्वस्तर पर रहा।

सूत्रों ने कहा कि जाड़े में सॉफ्ट आयल की मांग बढ़ती है। लेकिन आयात शुल्क पर नजर डालें तो एक ओर जहां सीपीओ (हार्ड आयल) का आयात शुल्क 24.45 रुपये प्रति किलो बैठता है वहीं सूरजमुखी (सॉफ्ट आयल) का आयात शुल्क 29 रुपये किलो और सोयाबीन तेल का आयात शुल्क 24.70 रुपये किलो बैठता है। सर्दियों में सूरजमुखी, सोयाबीन जैसे नरम तेल (सॉफ्ट आयल) की आपूर्ति तभी बढ़ेगी जब सारे खाद्य तेलों के आयात शुल्क लगभग बराबर होंगे। इसपर विचार करने की जरूरत है।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,575-6,625 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,450-6,725 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,250 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,300-2,600 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,950 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,275-2,375 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,275-2,400 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,150 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,800 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,300 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 12,650 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,900 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,300 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 13,350 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,565-4,615 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,265-4,300 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,200 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश निहारिका अजय

अजय