(फकीर हसन)
जोहानिसबर्ग, छह अक्टूबर (भाषा) दक्षिण अफ़्रीकी आयातकों ने चावल निर्यात पर प्रतिबंधों में ढील देने के भारत के फ़ैसले का स्वागत किया है।
पिछले महीने, भारत सरकार ने गैर-बासमती सफ़ेद चावल के निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटा लिया था। इसने 490 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम मूल्य तय किया और इसे निर्यात शुल्क से छूट दी।
घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए 20 जुलाई, 2023 से गैर-बासमती सफ़ेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
दक्षिण अफ्रीका में भारतीय उत्पादों के सबसे बड़े आयातकों में से एक, देव इंटरनेशनल के प्रणव ठक्कर ने कहा, “यह हमारे जैसे सभी आयातकों के लिए अच्छी खबर है, क्योंकि दक्षिण अफ्रीका हर साल लगभग एक करोड़ टन चावल का आयात करता है। थाईलैंड और वियतनाम से दक्षिण अफ्रीका में चावल के आयात की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत है। इसके बाद तीसरे स्थान पर भारत दक्षिण अफ्रीका को चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है।”
उन्होंने कहा, “इससे भारत के निर्यात में वृद्धि होगी और दक्षिणी अफ्रीकी देशों की मांग और आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकेगा। जैसे ही यह खबर आई, हमने पहले ही अपने ऑर्डर दे दिए हैं, और कंटेनर रास्ते में हैं।”
ठक्कर ने कहा कि छोटे दाने वाले चावल और सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटने से वैश्विक बाजारों पर असर पड़ा है, और कीमतों में गिरावट शुरू हो गई है।
उन्होंने कहा, ‘यह भारत में अक्टूबर/नवंबर से धान (चावल) की नई फसल की कटाई के साथ मेल खाएगा।’
दक्षिण अफ्रीकी कृषि व्यवसाय चैंबर के मुख्य अर्थशास्त्री वांडिले सिहलोबो ने भी यही दोहराया।
उन्होंने कहा, “वैश्विक स्तर पर चावल की कीमतों में हाल के सप्ताहों में उल्लेखनीय गिरावट आई है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर पर्याप्त आपूर्ति की उम्मीद है।”
उन्होंने कहा, “भारत ने गैर-बासमती सफ़ेद और टूटे चावल पर प्रतिबंध लगा दिया है। भारत द्वारा वैश्विक बाज़ार में सालाना निर्यात किए जाने वाले 2.2 करोड़ टन चावल में इस श्रेणी का हिस्सा आम तौर पर 45 प्रतिशत होता है।”
प्रतिबंध की आधिकारिक घोषणा के बाद के महीनों में, संभावित आपूर्ति की कमी के बारे में व्यापक चिंताओं के कारण वैश्विक चावल की कीमतों में उछाल आया।
भाषा अनुराग पाण्डेय
पाण्डेय