नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शनिवार को अपना लगातार आठवां बजट पेश करेंगी जिसमें महंगाई और स्थिर वेतन वृद्धि से जूझ रहे मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए आयकर दरों/स्लैब में कटौती या बदलाव की उम्मीद की जा रही है।
वित्त मंत्री राजकोषीय घाटे को कम करने के मसौदे पर टिके रहते हुए वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में कमजोर पड़ती आर्थिक वृद्धि को सहारा देने के उपाय भी कर सकती हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गरीब और मध्यम वर्ग के उत्थान के लिए धन की देवी का आह्वान करने के बाद आयकर में राहत मिलने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। खासकर निम्न मध्यम वर्ग को बजट में कुछ राहत मिल सकती है।
डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि पहली तिमाही के आंकड़े निजी खपत में उल्लेखनीय वृद्धि और निवेश गतिविधि में मामूली सुधार की ओर इशारा करते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में चुनाव संपन्न होने के साथ अनुमान है कि सरकारी खर्च बढ़ेगा, जिससे आगामी तिमाहियों में वृद्धि को समर्थन मिलेगा।
उन्होंने कहा कि सरकार कौशल विकास और रोजगार सृजन की दिशा में प्रयासों को प्राथमिकता देना जारी रखेगी।
अर्नेस्ट एंड यंग (ईवाई) को उम्मीद है कि आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए पूंजीगत व्यय में कम-से-कम 20 प्रतिशत बढ़ोतरी होगी।
ईवाई इंडिया में मुख्य नीतिगत सलाहकार डी के श्रीवास्तव ने कहा कि चुनौतीपूर्ण आर्थिक परिदृश्य के बीच आगामी बजट में राजकोषीय संयम को वृद्धि उपायों के साथ संतुलित करना चाहिए।
डीबीएस की वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा कि केंद्र सरकार राजकोषीय समेकन के रास्ते पर टिके रहकर और लोकलुभावन उपायों से दूर रहकर व्यापक स्थिरता को प्राथमिकता दे सकती है।
भाषा पाण्डेय प्रेम
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