नईदिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने शुक्रवार को अर्थव्यवस्था में नकदी की कमी को दूर करने के लिए कई उपायों की घोषणा की। रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 75 बेसिस पॉइंट और रिवर्स रेपो रेट में 90 बेसिस पॉइंट की कमी कर दी है। अब रेपो रेट 4.4 पर्सेंट हो गया है और रिवर्स रेपो रेट 4 पर्सेंट। इस रेट कट से लोनधारकों की ईएमआई कम हो जाएगी, लेकिन अपनी बचत की रकम को फिक्स डिपॉजिट (एफडी) करने जा रहे लोगों के लिए यह झटका है।
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फिक्स डिपॉजिट में निवेश करने वालों विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों को झटका लगेगा जो ब्याज से कमाई पर निर्भर हैं। रिजर्व बैंक ने दिसंबर 2019 से नीतिगत दरों में कमी नहीं की थी। इसके बावजूद देश का सबसे बड़ा बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया फरवरी और मार्च में एफडी रेट में कटौती कर चुका है। स्टेट बैंक में एफडी पर ब्याज दर 6 पर्सेंट से कम हो चुका है, जो अगस्त 2004 के बाद न्यूनतम है।
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रेपो रेट में कमी के बाद आने वाले दिनों में बैंक फिक्स डिपॉजिट पर ब्याज में कटौती कर सकते हैं। एफडी पर ब्याज में कमी का मतलब है कि नए जमाकर्ताओं को ब्याज से कमाई कम होगी। हालांकि, जो लोग ऊंची दर पर फिक्स या टर्म डिपॉजिट कर चुके हैं, उन्हें मैच्योरिटी तक उसी दर पर ब्याज मिलता रहेगा।
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एफडी पर कम ब्याज का मतलब यह नहीं है कि आप बचत ना करें। अधिक ब्याज के लिए आप कुछ दूसरे निवेश विकल्पों का रुख कर सकते हैं। नैशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC), किसान विकास पत्र, पोस्ट ऑफिस टर्म डिपॉजिट जैसे कई विकल्प मौजूद हैं जिनपर आपको कई बड़े बैंकों के एफडी से अधिक ब्याज मिलता है।