मुंबई, नौ दिसंबर (भाषा) छह साल तक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की कमान संभालने वाले शक्तिकान्त दास मंगलवार को केंद्रीय बैंक के 25वें गवर्नर का अपना कार्यकाल पूरा कर दायित्व से मुक्त हो जाएंगे।
सरकार ने राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा को आरबीआई का नया गवर्नर नियुक्त किया है। मल्होत्रा आरबीआई के 26वें गवर्नर होंगे।
इस नियुक्ति के साथ ही दास को आरबीआई गवर्नर के तौर पर तीसरा कार्यकाल मिलने की चर्चाएं थम गईं। इसके पहले वह गवर्नर के तौर पर दिसंबर, 2018 से तीन-तीन साल के दो कार्यकाल व्यतीत कर चुके हैं।
दास को ऊर्जित पटेल के अचानक गवर्नर पद छोड़ने के बाद पहली बार 12 दिसंबर, 2018 को आरबीआई की कमान सौंपी गई थी। बीते छह वर्षों में उन्हें अमेरिका स्थित ‘ग्लोबल फाइनेंस’ पत्रिका ने दो बार सर्वश्रेष्ठ केंद्रीय बैंकर भी घोषित किया।
दास ने आरबीआई गवर्नर के तौर पर पिछले हफ्ते मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक की अध्यक्षता भी की। बैठक खत्म होने के बाद दास ने कहा था कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था ने निरंतर उथल-पुथल और झटकों का सफलतापूर्वक सामना किया है।
दास को आरबीआई मुख्यालय में अपना कार्यभार संभालने के साथ ही अधिशेष हस्तांतरण के मुद्दे पर पैदा हुए विवाद को निपटाना पड़ा था। उन्होंने न केवल बाजार की चिंताओं को दूर किया बल्कि सरकार को अधिशेष हस्तांतरण से संबंधित मुद्दों को चतुराई से हल भी किया।
उसके एक साल बाद ही भारत समेत पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी के चंगुल में फंस गई थी। एक प्रमुख आर्थिक नीति निर्माता के रूप में दास को लॉकडाउन से उपजे व्यवधानों के प्रबंधन की चुनौती का भी सामना करना पड़ा। उस समय दास ने रेपो दर को चार प्रतिशत के ऐतिहासिक निचले स्तर पर लाने का विकल्प चुना।
हालांकि, महामारी से उबरने के बाद दास की अगुवाई वाली एमपीसी ने आर्थिक वृद्धि को तेज करने के लिए ब्याज दरें बढ़ाने की तेजी दिखाई। उनके कुशल प्रबंधन को देखते हुए सरकार ने 2021 में उन्हें एक बार फिर आरबीआई का गवर्नर नियुक्त किया।
दास ने यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई कि उनके कार्यकाल के अंतिम चार वर्षों में आर्थिक वृद्धि सात प्रतिशत से अधिक रहे।
आरबीआई गवर्नर के तौर पर दास का नरेंद्र मोदी सरकार के साथ तालमेल अच्छा रहा। उनके गवर्नर बनने के बाद से एक बार भी आरबीआई की स्वायत्तता का मुद्दा नहीं उछा। वह सहयोगियों और मीडिया के लिए स्पष्टवादी और सुलभ रहे। उन्होंने आम सहमति का रास्ता अपनाते हुए सरकार के साथ संवाद बनाए रखा।
इस दौरान आरबीआई ने 2024 की शुरुआत में 2.11 लाख करोड़ रुपये का अबतक का सबसे अधिक लाभांश सरकार को दिया।
आरबीआई की कमान संभालने के पहले दास 2016 की नोटबंदी के समय भी प्रमुख भूमिका में थे। भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1980 बैच के अधिकारी दास ने राजस्व विभाग और आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव के रूप में कार्य किया था।
सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें 15वें वित्त आयोग का सदस्य और जी20 समूह में भारत का शेरपा भी नियुक्त किया गया था।
दास को पिछले 38 वर्षों में शासन के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक अनुभव है। उन्होंने वित्त, कराधान, उद्योग और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में केंद्र और राज्य सरकारों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। वह दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातकोत्तर हैं।
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