नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) भारत में 92 प्रतिशत कार्यकारी अधिकारी कृत्रिम मेधा (एआई) अपनाने में सुरक्षा संबंधी चुनौतियों को सबसे बड़ा अवरोध मानते हैं। यह स्थिति तेजी से बढ़ते एआई-संचालित परिदृश्य में विश्वास को बढ़ावा देने और जोखिमों को कम करने के वास्ते इसके लिए मजबूत ढांचे की जरूरत को रेखांकित करती है।
डेलॉयट एशिया पैसिफिक की रिपोर्ट ‘एआई अहम मोड़ पर: विस्तार के मार्ग पर विश्वास का निर्माण’ (एआई एट क्रॉसरोड: बिल्डिंग ट्रस्ट एज ए पाथ टू स्केल) 13 बाजारों में 900 वरिष्ठ अधिकारियों के बीच किए गए सर्वेक्षण पर आधारित है। इसमें पाया गया कि एआई के प्रति उत्साह बेहद अधिक है, लेकिन इसे व्यापक स्तर पर अपनाने की राह में अभी कहीं बड़ी बाधाएं भी मौजूद हैं।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ करीब 92 प्रतिशत भारतीय अधिकारी एआई को अपनाने में प्राथमिक चिंता हैकिंग तथा साइबर खतरों सहित सुरक्षा संबंधी विभिन्न चुनौतियों को बताते हैं जबकि 91 प्रतिशत ने एआई के इस्तेमाल में संवेदनशील डेटा से संबंधित गोपनीयता जोखिमों को लेकर चिंता जाहिर की।’’
इसमें कहा गया, ‘‘ इसके अतिरिक्त 89 प्रतिशत ने विनियामक अनिश्चितताओं के कारण उत्पन्न जटिलताओं को रेखांकित किया और अनुपालन आवश्यकताओं को एआई एकीकरण की दिशा में एक चुनौती बताया। ’’
एआई के इस्तेमाल के लिए आवश्यक मजबूत ढांचे की आवश्यकता इस चिंताजनक आंकड़े से और अधिक स्पष्ट हो जाती है कि आधे से अधिक प्रौद्योगिकी अधिकारी यह नहीं मानते कि उनके कार्यस्थल एआई-संबंधी जोखिमों से निपटने के लिए तैयार हैं।
डेलॉयट इंडिया के साझेदार जयंत सरन ने कहा, ‘‘ भारतीय संगठनों के लिए एआई को मौजूदा प्रणालियों में सहजता से एकीकृत करना अनिवार्य होना चाहिए…ताकि इसे स्थायी तरीके से अपनाना सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी तथा ज्ञान के अंतरालों को पाटा जा सके..इसके लिए निरंतर कौशल उन्नयन तथा अंतर-कार्यात्मक सहयोग की आवश्यकता होती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मजबूत ढांचे तथा नैतिक प्रथाओं के माध्यम से विश्वास को बढ़ावा देकर व्यवसाय जोखिमों को कम कर सकते हैं। साथ ही नवाचार को बढ़ावा देने, प्रतिष्ठा बढ़ाने तथा तेजी से बढ़ते एआई-संचालित परिदृश्य में आत्मविश्वास के साथ मूल्य प्रदान करने के लिए एआई की क्षमताओं का दोहन किया जा सकता है।’’
रिपोर्ट में कहा गया, इन चुनौतियों के बावजूद एक सकारात्मक पहलू यह भी है कि सर्वेक्षण में शामिल संगठनों में से करीब 60 प्रतिशत के पास नैतिक तथा कानूनी एआई उपयोग के लिए आवश्यक कौशल मौजूद हैं। इसके अतिरिक्त 72 प्रतिशत संगठन नैतिक एआई प्रथाओं में विशेषज्ञता वाले लोगों को काम पर रखकर कौशल अंतर को पाटने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। यह सक्रिय दृष्टिकोण जिम्मेदार एआई अपनाने से जुड़ी उभरती चुनौतियों से निपटते हुए कार्यबल की तत्परता को बढ़ाता है। भाषा निहारिका मनीषा
मनीषा