सेबी 27 जनवरी को पांच कंपनियों की संपत्तियों की नीलामी करेगा

सेबी 27 जनवरी को पांच कंपनियों की संपत्तियों की नीलामी करेगा

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  • Publish Date - December 23, 2024 / 04:42 PM IST,
    Updated On - December 23, 2024 / 04:42 PM IST

नयी दिल्ली, 23 दिसंबर (भाषा) पूंजी बाजार नियामक सेबी विशाल ग्रुप और सुमंगल इंडस्ट्रीज सहित पांच कंपनियों की 28 संपत्तियों की 27 जनवरी को नीलामी करेगा। निवेशकों से अवैध रूप से एकत्र की गयी राशि की वसूली के लिए यह कदम उठाया गया है।

संपत्तियों की नीलामी 28.66 करोड़ रुपये के आरक्षित मूल्य पर की जाएगी। उक्त दो कंपनियों के अलावा रवि किरण रियल्टी इंडिया, मंगलम एग्रो प्रोडक्ट्स और पुरुषत्तम इन्फोटेक इंडस्ट्रीज की संपत्तियों की नीलामी की जाएगी।

जिन संपत्तियों की नीलामी की जाएगी उनमें पश्चिम बंगाल और ओडिशा में स्थित फ्लैट, आवासीय संपत्ति और फ्लैट, भूखंड और इमारत के साथ जमीन शामिल है।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के 19 दिसंबर को जारी एक नोटिस के अनुसार, इन संपत्तियों की नीलामी 28.66 करोड़ रुपये के आरक्षित मूल्य पर की जाएगी।

सेबी ने पांच कंपनियों और उनके प्रवर्तकों/निदेशकों के खिलाफ वसूली कार्यवाही के तहत संपत्तियों की बिक्री के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं।

यह कदम निवेशकों की राशि वसूलने के सेबी के प्रयासों का हिस्सा है। संपत्तियों की बिक्री में सहायता के लिए एड्रोइट टेक्निकल सर्विसेज को नियुक्त किया गया है।

कुल 28 संपत्तियों में से 17 विशाल ग्रुप से जुड़ी हैं। इसके अलावा छह मंगलम एग्रो प्रोडक्ट्स, तीन सुमंगल इंडस्ट्रीज और एक-एक पुरुषत्तम इन्फोटेक इंडस्ट्रीज और रवि किरण रियल्टी इंडिया से जुड़ी हैं।

सेबी ने कहा कि नीलामी 27 जनवरी, 2025 को सुबह 11 बजे से दोपहर एक बजे तक ऑनलाइन आयोजित की जाएगी।

इन कंपनियों ने बाजार नियमों का अनुपालन किए बिना निवेशकों से राशि जुटायी थी।

सेबी के पहले के आदेशों के अनुसार, मंगलम एग्रो ने 2011-2012 के दौरान लगभग 4,820 निवेशकों को सुरक्षित गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (एनसीडी) जारी कर 11 करोड़ रुपये जुटाए थे, जबकि सुमंगल ने अवैध रूप से संचालित सामूहिक निवेश योजनाओं के माध्यम से निवेशकों से 85 करोड़ रुपये जुटाए थे।

विशाल डिस्टिलर्स ने चाद करोड़ रुपये, विशाल एग्री-बायो इंडस्ट्रीज और विशाल हॉर्टिकल्चर एंड एनिमल प्रोजेक्ट्स ने क्रमशः तीन करोड़ रुपये और 2.84 करोड़ रुपये जुटाए थे। कंपनियों ने यह राशि 2006-2014 के बीच जुटायी थी।

भाषा रमण अजय

अजय