मुंबई, 24 मार्च (भाषा) बाजार नियामक सेबी के निदेशक मंडल ने सोमवार को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की तरफ से विस्तृत खुलासे के लिए निवेश सीमा को दोगुना करके 50,000 करोड़ रुपये करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
इस कदम का उद्देश्य अपरिवर्तित रहने वाले शेयरधारिता मानदंड में बदलाव न करते हुए भी बदलते हुए बाजार की गतिशीलता का ध्यान रखना है।
फिलहाल 25,000 करोड़ रुपये से अधिक प्रबंधन-अधीन परिसंपत्ति (एयूएम) वाले एफपीआई के लिए अपने सभी निवेशकों या हितधारकों का विस्तृत विवरण अंतर्निहित विश्लेषण के आधार पर देना जरूरी है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2022-23 और चालू वित्त वर्ष (2024-25) के दौरान नकद इक्विटी बाजारों में कारोबार की मात्रा दोगुनी से अधिक हो गई है। इसे ध्यान में रखते हुए निदेशक मंडल ने लागू सीमा को मौजूदा 25,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 50,000 करोड़ रुपये करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।’’
पांडेय ने निदेशक मंडल की बैठक के बाद कहा, ‘‘इस तरह से भारतीय बाजारों में 50,000 करोड़ रुपये से अधिक इक्विटी एयूएम रखने वाले एफपीआई को अब अतिरिक्त खुलासे करने की जरूरत होगी।’’
नवनियुक्त चेयरमैन पांडेय की अगुवाई में यह निदेशक मंडल की पहली बैठक थी।
अगस्त, 2023 में सेबी ने किसी एक कॉरपोरेट समूह में अपने इक्विटी एयूएम का 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सा रखने वाले या भारतीय इक्विटी बाजारों में 25,000 करोड़ रुपये से अधिक की कुल हिस्सेदारी रखने वाले एफपीआई को निर्देश दिया था कि वे एफपीआई में स्वामित्व, आर्थिक हित या नियंत्रण रखने वाली सभी इकाइयों का विस्तृत विवरण दें।
कुछ एफपीआई, जिनमें विस्तारित निवेशक आधार वाले व्यापक-आधारित, पूल संरचना वाले या सरकार या सरकार से जुड़े निवेशकों द्वारा स्वामित्व हित रखने वाले एफपीआई शामिल हैं, को कुछ शर्तों के अधीन ऐसी अतिरिक्त खुलासा शर्तों से छूट दी गई है।
एफपीआई का आकार मानदंड बड़े भारतीय इक्विटी पोर्टफोलियो वाले एफपीआई की तरफ से प्रेस नोट-3 के प्रावधानों के संभावित दुरुपयोग से बचाव के मकसद से लाया गया था।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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