बजट में खाद्य तेलों पर आयात शुल्क नहीं बढ़ाए जाने पर एसईए ने निराशा जताई

बजट में खाद्य तेलों पर आयात शुल्क नहीं बढ़ाए जाने पर एसईए ने निराशा जताई

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  • Publish Date - July 24, 2024 / 06:49 PM IST,
    Updated On - July 24, 2024 / 06:49 PM IST

नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) खाद्य तेल उद्योग निकाय साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) ने बुधवार को कहा कि सरकार को तिलहन के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध कराना चाहिए। इसके साथ ही तेल संगठन ने इस बात पर निराशा व्यक्त की कि बजट में खाद्य तेलों पर आयात शुल्क नहीं बढ़ाया गया।

मंगलवार को अपने बजट भाषण में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘‘दलहन और तिलहन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए हम उनके उत्पादन, भंडारण और विपणन को मजबूत करेंगे।’’

उन्होंने कहा था कि जैसा कि अंतरिम बजट में घोषणा की गई थी, सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे तिलहनों के लिए ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने को एक रणनीति बनाई जा रही है।

बजट प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए एसईए के अध्यक्ष अजय झुनझुनवाला ने कहा, ‘‘हम सरकार को सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे प्रमुख तिलहनों पर ध्यान केंद्रित करते हुए ‘खाद्य तेलों के लिए राष्ट्रीय मिशन’ की घोषणा करने के लिए बधाई देते हैं।’’

उन्होंने एसोसिएशन के सदस्यों को लिखे पत्र में कहा कि इस पहल में उच्च उपज वाली किस्मों के लिए अनुसंधान, आधुनिक कृषि तकनीकों को व्यापक रूप से अपनाना, बाजार संपर्क स्थापित करना, खरीद, मूल्य संवर्धन और फसल बीमा जैसे महत्वपूर्ण पहलू शामिल हैं।

एसईए ने कहा, ‘‘हमें विश्वास है कि आने वाले वर्षों में आयात निर्भरता को कम करने में महत्वपूर्ण परिणाम सुनिश्चित करने के लिए इस महत्वपूर्ण मिशन को पर्याप्त रूप से वित्तपोषित किया जाएगा।’’

हालांकि, एसईए अध्यक्ष ने इस बात पर अफसोस जताया कि खाद्य तेलों पर आयात शुल्क नहीं बढ़ाया गया।

झुनझुनवाला ने कहा, ‘‘हम इस बात से थोड़े निराश हैं कि खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने के साथ-साथ कच्चे तेल और रिफाइंड तेलों के बीच शुल्क अंतर को न्यूनतम 15 प्रतिशत तक बढ़ाने की कोई घोषणा नहीं की गई है।’’

उन्होंने कहा कि एसोसिएशन सरकार से तिलहन किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने का अनुरोध कर रही है, ‘‘लेकिन ऐसा लगता है कि वित्त मंत्री का ध्यान इस ओर नहीं गया है।’’

झुनझुनवाला ने कहा, ‘‘घरेलू रिफाइनिंग उद्योग रिफाइंड खाद्य तेलों के भारी आयात से प्रभावित है, जो प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया’ के सपने के विपरीत है। हमारे रिफाइनिंग उद्योग की क्षमता का उपयोग बहुत बुरी तरह प्रभावित हो रहा है और इसके चलते रोजगार के अवसरों का भी नुकसान हो रहा है।’’

उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में इस मांग पर उचित ध्यान दिया जाएगा।

उन्होंने उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु-अनुकूल किस्मों के विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कृषि अनुसंधान की व्यापक समीक्षा करने के सरकार के फैसले का स्वागत किया।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार और निजी क्षेत्र दोनों के क्षेत्र विशेषज्ञ इस तरह के शोध के संचालन की देखरेख करेंगे। इसके अलावा, आगामी खरीफ मौसम से 400 जिलों के छह करोड़ किसानों को कवर करते हुए एक डिजिटल फसल सर्वेक्षण आयोजित किया जाएगा। यह घोषणा महत्वपूर्ण है क्योंकि यह निर्णय लेने के लिए विश्वसनीय आंकड़े देगा।’’

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय