दावोस, 23 जनवरी (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के चेयरमैन अरविंदर सिंह साहनी ने बृहस्पतिवार को कहा कि रूस के खिलाफ किसी भी और प्रतिबंध का भारत की कच्चे तेल की जरूरतों पर कोई असर नहीं पड़ेगा और वैश्विक कीमतें 75-80 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में स्थिर रहेंगी। उन्होंने कहा कि इसका कारण हमें पहले से ही प्रतिबंध की आशंका थी।
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की वार्षिक बैठक के दौरान यहां पीटीआई-भाषा से बातचीत में उन्होंने कहा कि ऐसे कई ऊर्जा स्रोत हैं जिनका उपयोग किसी भी आपात स्थिति में भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है।
दावोस में भारत की भागीदारी के बारे में पूछे जाने पर साहनी ने कहा कि यहां भारत की बड़ी उपस्थिति देखकर बहुत अच्छा लग रहा है।
उन्होंने कहा, “इससे बहुत मदद मिलती है क्योंकि हम यहां एक ही स्थान पर कई वैश्विक कंपनियों से मिल सकते हैं। हम उन सभी के साथ विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं, और यह कंपनी और अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है।”
डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का दूसरी बार राष्ट्रपति बनने और भारत पर इसके प्रभाव के बारे में उन्होंने कहा कि यह ऊर्जा क्षेत्र के लिए सकारात्मक होना चाहिए, क्योंकि ‘उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि हमें अधिक ऊर्जा का उत्पादन करना होगा और हम अधिक ऊर्जा स्रोतों के खिलाफ नहीं हैं। अधिक से अधिक ऊर्जा स्रोत होना हमेशा बेहतर होता है।’
उन्होंने कहा कि भारत कच्चे तेल का लगभग 87 प्रतिशत आयात करता है और अगर देश को एक से अधिक स्रोत मिलें तो यह बेहतर होगा।
इस आशंका पर कि अगर युद्ध नहीं रुका तो ट्रंप रूस पर और प्रतिबंध लगा सकते हैं, उन्होंने कहा कि इसका कोई बड़ा प्रभाव नहीं होगा।
साहनी ने कहा, “यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले भारत को रूस से दो प्रतिशत से भी कम तेल मिलता था। युद्ध शुरू होने के बाद और रूस को यूरोप आदि को तेल बेचने की अनुमति नहीं मिलने के बाद, हमें रूस से अधिक तेल मिलना शुरू हो गया।”
उन्होंने कहा, “यदि प्रतिबंधों के कारण इसमें कमी आती है, तो हमारे पास इसकी भरपाई के लिए अन्य स्रोत हैं। हमने अपने अन्य स्रोतों को नहीं छोड़ा है, चाहे वे खाड़ी, तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक), ओपेक-प्लस, अमेरिका, गुयाना या ब्राजील में हों।”
आईओसी प्रमुख ने यह भी कहा कि नए गैर-ओपेक देश भी हैं और कच्चे तेल की कोई कमी नहीं है।
भाषा अनुराग रमण
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