डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा, जानिए कितने रुपए के बराबर है एक डॉलर वैल्यू ?

कमजोर जोखिम धारणाओं, विदेशी पूंजी की बाजार से धन निकासी और उच्च मुद्रास्फीति की चिंताओं के बीच रुपये में यह लगातार पांचवीं मासिक गिरावट है।

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  • Publish Date - May 31, 2022 / 09:29 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:11 PM IST

मुंबई, 31 मई । अमेरिकी बांड प्रतिफल में वृद्धि के बीच विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 17 पैसे की गिरावट के साथ अब तक के सबसे निचले स्तर 77.71 पर बंद हुआ। घरेलू शेयर बाजार में गिरावट, कच्चातेल की कीमत और महंगा होने तथा विदेशी पूंजी की बाजार से निकासी से भी रुपये की धारणा प्रभावित हुई।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 77.65 पर कमजोर खुला और दिन के कारोबार में 77.71 के निम्नतम स्तर से लेकर 77.62 रुपये के उच्चतम स्तर के बीच रहा। अंत में रुपया अपने पिछले बंद भाव के मुकाबले 17 पैसे की गिरावट के साथ 77.71 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

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सोमवार को रुपया 77.54 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

कमजोर जोखिम धारणाओं, विदेशी पूंजी की बाजार से धन निकासी और उच्च मुद्रास्फीति की चिंताओं के बीच रुपये में यह लगातार पांचवीं मासिक गिरावट है।

इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.5 प्रतिशत बढ़कर 101.92 हो गया।

बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 359.33 अंक की गिरावट के साथ 55,566.41 अंक पर बंद हुआ।

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वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 1.77 प्रतिशत बढ़कर 123.82 डॉलर प्रति बैरल हो गया।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार के अनुसार, रुपया एशियाई मुद्राओं में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गयी है और मई में विदेशी पूंजी की निकासी तथा धीमी आर्थिक वृद्धि के कारण लगातार पांचवीं मासिक गिरावट देखी गई।

परमार ने कहा, ‘‘उच्च मुद्रास्फीति दर और वृद्धि संभावना नरम रहने के बाद केंद्रीय बैंकों के आक्रामक रवैये को लेकर जोखिम उठाने की धारणा कमजोर बनी हुई हैं।’’

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बाजार सूत्रों ने कहा कि निवेशक अब बाजार के आगे के संकेतों के लिए चौथी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और मासिक राजकोषीय घाटा के आंकड़ों का इंतजार कर रहे हैं।

एमके वेल्थ मैनेजमेंट की एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘डॉलर की मजबूती, घरेलू बाजार से विदेशी संस्थागत निवेशकों की धन निकासी और व्यापार संतुलन के बिगड़ने से रुपये पर दबाव बना हुआ है।’’