(बरुण झा)
दावोस, 23 जनवरी (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भारतीय रुपये में गिरावट के लिए पूरी तरह से अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि इसमें आरबीआई का कोई भी हस्तक्षेप भारतीय निर्यात को नुकसान पहुंचा सकता है।
उन्होंने साथ ही नीति निर्माताओं से अधिक नौकरियों के सृजन और घरेलू उपभोग को बढ़ावा देने पर ध्यान देने का आग्रह किया।
यह पूछे जाने पर कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के वैश्विक तथा भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में क्या मायने होंगे, राजन ने कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि इसका मतलब अनिश्चितता है। राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने अभियान के दौरान कई नीतियों और उपायों की रूपरेखा तैयार की थी, जिन्हें वह लागू करना चाहते हैं।’’
अमेरिकी डॉलर में वृद्धि और अन्य मुद्राओं खासकर रुपये सहित उभरते बाजारों पर इसके प्रभाव के बारे में राजन ने कहा कि डॉलर अन्य मुद्राओं की तुलना में मजबूत हो रहा है, जिसकी आंशिक वजह ट्रंप के संभावित शुल्क की घोषणा है।
भारतीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘ यदि वह शुल्क लगाते हैं, तो इससे अन्य देशों से अमेरिका का आयात कम हो जाएगा तथा चालू खाता घाटा और व्यापार घाटा कम हो जाएगा। इस दृष्टिकोण से अमेरिका को कम आयात करना होगा और इसलिए डॉलर मजबूत होगा क्योंकि बाकी दुनिया में डॉलर कम होगा। तो, इसकी प्रत्यक्ष वजह यही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ एक समझ यह भी है कि अमेरिका निवेश के लिए अधिक आकर्षक स्थान बनता जा रहा है, क्योंकि जो लोग अमेरिका को निर्यात नहीं कर सकते, वे अपना उत्पादन अमेरिका में करेंगे। साथ ही, आप देख रहे हैं कि अमेरिका में अधिक पूंजी आ रही है और यह बहुत बड़ी बात है। इससे शेयर बाजार में तेजी आएगी और डॉलर भी मजबूत होगा।’’
उन्होंने कहा कि ये सभी कारक, साथ ही अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मजबूत वृद्धि, डॉलर को मजबूत बना रहे हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारतीय रिजर्व बैंक रुपये में हो रही गिरावट को रोकने के लिए कुछ नहीं कर सकता, राजन ने कहा, ‘‘ मुझे नहीं लगता कि आरबीआई को कुछ करना चाहिए, क्योंकि अन्य सभी मुद्राएं अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रही हैं। अगर वह रुपये को मजबूत करने की कोशिश करता है तो यह उसके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। यदि डॉलर के मुकाबले रुपये को मजबूत करने की कोशिश करता है तो वह अनिवार्य रूप से अन्य सभी मुद्राओं के मुकाबले उसे मजबूत करेगा तथा इससे हमारे निर्यातकों के लिए और अधिक मुश्किल हो जाएगी।’’
राजन ने कहा, ‘‘ इसलिए, मैं इस बारे में सावधान रहूंगा। मैं केवल तभी हस्तक्षेप करूंगा जब रुपये में गिरावट वास्तव में अचानक आए और बहुत अधिक अस्थिरता उत्पन्न करे। किसी भी हस्तक्षेप के पीछे आरबीआई का हमेशा यही उद्देश्य रहा है कि अस्थिरता को कम किया जाए, न कि रुपये के स्तर को बदलने का प्रयास किया जाए।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या अमेरिका के अधिक आकर्षक निवेश गंतव्य बनने से किसी अन्य देश या भारत पर कोई असर होगा, राजन ने कहा, ‘‘ शुल्क लगाने के पीछे की वजह उत्पादन को पुनः स्थापित करना है, ताकि इसका अन्य देशों के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर प्रभाव पड़े।’’
उन्होंने कहा कि इससे लोग अन्य देशों में निवेश करने की बजाय अमेरिका में निवेश करेंगे।
भारत के वित्त वर्ष 2024-25 के केंद्रीय बजट से अपेक्षाओं के बारे में राजन ने कहा, ‘‘आर्थिक वृद्धि में हाल की नरमी चिंता की बात है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ बेशक, एक तिमाही पूरी तस्वीर बयां नहीं करती, लेकिन यह तब हो रहा है जब हम वैश्विक महामारी (कोविड-19) से पहले बहुत धीमी गति से बढ़ रहे थे, फिर महामारी के दौरान थोड़ी गिरावट आई और फिर हम उबर गए।’’
राजन ने कहा, ‘‘ चिंता की बात यह है कि हाल के वर्षों में मजबूत वृद्धि का एक बड़ा हिस्सा सुधारात्मक वृद्धि थी और अब हमें एक स्थायी वृद्धि का निर्माण करना है। यह स्थायी वृद्धि बड़े निवेश और उपभोग में वृद्धि से आएगी।’’
आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा, ‘‘ हमें इन दोनों मोर्चों पर चिंतित है। निजी निवेश में वृद्धि नहीं हुई है। जब हम मांग को देखते हैं, तो पहले मध्यम वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग में मांग कम थी, उदाहरण के लिए दोपहिया वाहनों में और अब उच्च मध्यम वर्ग में मांग कम हो रही है।’’
राजन ने कहा कि उपभोग के लिए घरेलू मांग तब आती है जब परिवार सहज महसूस करते हैं और जब उनकी नौकरियां और आय बढ़ रही होती है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमने देखा है कि हाल ही में लोगों की नौकरियां तथा उनकी आय को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं। इन कारणों की वजह से, मैं सुझाव दूंगा कि बजट में इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि हम कैसे अधिक नौकरियां सृजित करें, बेहतर नौकरियों का सृजन करें और अधिक आत्मविश्वास से भरे परिवार बनाएं।’’
राजन ने कहा, ‘‘ अधिक परिवारों द्वारा अधिक उपभोग करने से निजी उद्योग अधिक निवेश करेंगे। यह एक अच्छी प्रक्रिया साबित होगी और हमें यह पता लगाना होगा कि हम इसे कैसे ठीक कर सकते हैं।’’
भाषा निहारिका रमण
रमण