पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने से प्रभावित हो सकता है कच्चे तेल, इलेक्ट्रॉनिक्स का व्यापार : निर्यातक

पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने से प्रभावित हो सकता है कच्चे तेल, इलेक्ट्रॉनिक्स का व्यापार : निर्यातक

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  • Publish Date - October 2, 2024 / 07:57 PM IST,
    Updated On - October 2, 2024 / 07:57 PM IST

नयी दिल्ली, दो अक्टूबर (भाषा) निर्यातकों का कहना है कि पश्चिम एशियाई क्षेत्र में संघर्ष बढ़ने से पहले से ही ऊंची लॉजिस्टिक्स लागत और बढ़ने के साथ ही कच्चे तेल, इलेक्ट्रॉनिक्स और कृषि जैसे क्षेत्रों में व्यापार को नुकसान पहुंच सकता है।

उन्होंने कहा कि युद्ध में सीधे तौर पर शामिल देशों को निर्यात के लिए बीमा लागत भी बढ़ सकती है, जिसका भारतीय निर्यातकों की कार्यशील पूंजी पर असर पड़ेगा।

शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि संघर्ष पहले से ही इजरायल, जॉर्डन और लेबनान जैसे देशों के साथ भारत के व्यापार को नुकसान पहुंचा रहा है।

निर्यातकों के प्रमुख संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) ने कहा कि ईरान-इजरायल संघर्ष में कई तरीकों से विश्व व्यापार और वैश्विक अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करने की क्षमता है।

फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, ‘‘ईरान तेल बाजार में एक प्रमुख कारोबारी है। संघर्ष में कोई भी वृद्धि तेल की आपूर्ति को बाधित कर सकती है, जिससे कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ेगा, खासकर उनपर जो तेल आयात पर निर्भर हैं। तेल की कीमतें पहले ही चार डॉलर प्रति बैरल बढ़ चुकी हैं।’’

उन्होंने कहा कि तनाव बढ़ने से पश्चिम एशिया में अस्थिरता आ सकती है, जिससे होर्मुज जलडमरूमध्य जैसे व्यापार मार्ग प्रभावित हो सकते हैं, जिसके माध्यम से दुनिया के कच्चे तेल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा गुजरता है।

सहाय ने कहा, ‘‘व्यवधानों के कारण शिपिंग लागत और देरी बढ़ सकती है। कई वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं पश्चिम एशिया की स्थिरता पर निर्भर करती हैं। यह संघर्ष परिवहन और लॉजिस्टिक्स को बाधित कर सकता है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर कृषि तक के उद्योग प्रभावित हो सकते हैं।’’

इसके अलावा, अगर पश्चिमी दुनिया प्रतिबंध या व्यापार प्रतिबंध लगाती है, तो यह वैश्विक व्यापार को और जटिल बना देगा।

हैंड टूल एसोसिएशन के चेयरमैन एस सी रल्हन ने कहा कि इन देशों को दिए जाने वाले ऑर्डर रुके रहेंगे और धीरे-धीरे इस क्षेत्र में व्यापार करना ‘बहुत जोखिम भरा और मुश्किल’ हो जाएगा।

रल्हन ने कहा, ‘‘बीमा लागत बढ़ जाएगी या शायद हमें उस क्षेत्र में कोई बीमा सुरक्षा न मिले।’’

जनवरी-जुलाई, 2024 के दौरान, संघर्ष से सीधे प्रभावित देशों के साथ भारत के व्यापार को महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘इज़राइल के निर्यात में 63.5 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है। इसके असर से जॉर्डन में 38.5 प्रतिशत की गिरावट देखी गई और लेबनान में 6.8 प्रतिशत की कमी आई है।’’

अक्टूबर, 2023 में शुरू हुआ इज़राइल-हमास संघर्ष अब लेबनान, सीरिया तक फैल गया है और अप्रत्यक्ष रूप से जॉर्डन और ईरान को प्रभावित कर रहा है।

चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जुलाई के दौरान भारत का इज़राइल को निर्यात 63.9 करोड़ डॉलर का रहा। वर्ष 2023-24 में यह 4.52 अरब डॉलर का था। वित्त वर्ष के पहले चार महीनों के दौरान इज़राइल से आयात 46 करोड़ 94.4 लाख डॉलर का था।

वर्ष 2023-24 में यह दो अरब डॉलर का हुआ था।

इस वित्तवर्ष में अप्रैल-जुलाई के दौरान ईरान को भारत का निर्यात 53 करोड़ 85.7 लाख डॉलर का था। वर्ष 2023-24 में यह 1.22 अरब डॉलर का हुआ था। इस वित्त वर्ष के पहले चार महीनों के दौरान ईरान से आयात 14 करोड़ 6.9 लाख डॉलर का था। वर्ष 2023-24 में यह 62 करोड़ 51.4 लाख डॉलर का हुआ था।

इसी तरह, इस वित्तवर्ष में अप्रैल-जुलाई के दौरान जॉर्डन को देश का निर्यात 22 करोड़ 85.6 लाख डॉलर का हुआ था। वर्ष 2023-24 में यह 1.46 अरब डॉलर था। इस वित्त वर्ष के पहले चार महीनों के दौरान जॉर्डन से आयात 69 करोड़ 92.8 लाख डॉलर का था। वर्ष 2023-24 में यह 1.4 अरब डॉलर का हुआ था।

इस वित्त वर्ष में अप्रैल-जुलाई के दौरान लेबनान को भारत का निर्यात 11 करोड़ 68.6 लाख डॉलर का हुआ। वर्ष 2023-24 में यह 34 करोड़ 49.1 लाख डॉलर का हुआ था। इस वित्त वर्ष के पहले चार महीनों के दौरान उस देश से आयात 3.9 करोड़ डॉलर का हुआ। वर्ष 2023-24 में यह 11.3 करोड़ डॉलर का हुआ था।

पश्चिम एशियाई देशों को भारत के निर्यात की प्रमुख वस्तुओं में बासमती चावल, मानव निर्मित धागा, कपड़े, रत्न और आभूषण, सूती धागे और कपड़े शामिल हैं।

भारत एशिया में इजरायल का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।

हालांकि, द्विपक्षीय व्यापारिक व्यापार में मुख्य रूप से हीरे, पेट्रोलियम उत्पाद और रसायन हावी हैं। हाल के वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक मशीनरी और उच्च तकनीक वाले उत्पादों, संचार प्रणालियों और चिकित्सा उपकरणों जैसे क्षेत्रों में व्यापार में वृद्धि देखी गई है।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय