बढ़ता मोटापा चिंता का विषय, स्वस्थ जीवनशैली के लिए निवारक कदमों की जरूरतः समीक्षा

बढ़ता मोटापा चिंता का विषय, स्वस्थ जीवनशैली के लिए निवारक कदमों की जरूरतः समीक्षा

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  • Publish Date - July 22, 2024 / 09:03 PM IST,
    Updated On - July 22, 2024 / 09:03 PM IST

नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) भारत में करीब 54 प्रतिशत बीमारियों के लिए बढ़ते मोटापे के साथ चीनी एवं वसा से भरपूर अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ जिम्मेदार हैं। आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में इस स्थिति पर चिंता जताई गई है।

सोमवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में देश के वयस्कों एवं बच्चों के भीतर बढ़ते मोटापे को ‘चिंताजनक स्थिति’ बताते हुए कहा गया है कि नागरिकों को स्वस्थ जीवन शैली अपनाने में सक्षम बनाने के लिए निवारक उपाय किए जाने चाहिए। इसके मुताबिक, मोटापा भारत की वयस्क आबादी के बीच एक गंभीर चिंता के रूप में उभर रहा है।

आर्थिक समीक्षा कहती है कि यदि भारत को अपनी जनसंख्या की संरचना का फायदा उठाना है, तो इसकी आबादी के स्वास्थ्य मापदंडों का संतुलित और विविध आहार की ओर उन्मुख होना महत्वपूर्ण है।

भारतीय चिकित्सकीय अनुसंधान परिषद की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि चीनी और वसा से भरपूर अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के सेवन में वृद्धि, शारीरिक गतिविधियों में कमी तथा विविध खाद्य पदार्थों तक सीमित पहुंच के कारण सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से लोगों में अधिक वजन/ मोटापे की समस्याएं बढ़ रही हैं।

विश्व मोटापा संघ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए समीक्षा में कहा गया कि भारत में वयस्कों में मोटापे की दर तीन गुना से भी अधिक हो जाने का अनुमान है। दुनिया भर में बच्चों के बीच मोटापे की दर में सबसे अधिक वृद्धि भारत में दर्ज की गई है।

समीक्षा में कहा गया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के अनुसार, ग्रामीण भारत की तुलना में शहरी भारत में मोटापे की दर काफी अधिक है। शहरी भारत में यह दर 29.8 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण भारत में यह 19.3 प्रतिशत है।

देश में 18-69 आयु वर्ग में मोटापे से जूझ रहे पुरुषों का प्रतिशत एनएफएचएस-5 में बढ़कर 22.9 प्रतिशत हो गया है, जबकि एनएफएचएस-4 में यह 18.9 प्रतिशत था। महिलाओं के लिए यह 20.6 प्रतिशत (एनएफएचएस-4) से बढ़कर 24 प्रतिशत (एनएफएचएस-5) हो गया है।

समीक्षा में कहा गया, ‘‘कुछ राज्यों में बढ़ती उम्र की आबादी में मोटापा भी चिंताजनक है। नागरिकों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने में सक्षम बनाने के लिए निवारक उपाय किए जाने चाहिए।’’

कुछ राज्यों जैसे कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (दिल्ली) में मोटापे से ग्रस्त महिलाओं का अनुपात 41.3 प्रतिशत है, जबकि पुरुषों के लिए यह 38 प्रतिशत है। तमिलनाडु में 37 पुरुष और 40.4 महिलाएं मोटापे से ग्रस्त हैं। आंध्र प्रदेश में 36.3 प्रतिशत महिलाएं और 31.1 प्रतिशत पुरुष मोटापे जूझ रहे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘भारत की कामकाजी आयु वर्ग की आबादी को लाभकारी रोजगार पाने के लिए कौशल और अच्छे स्वास्थ्य की जरूरत है। सोशल मीडिया, मोबाइल एवं कंप्यूटर स्क्रीन पर बिताने वाला समय, निष्क्रिय रहने से जुड़ी आदतें और अस्वास्थ्यकर भोजन एक घातक मिश्रण है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य और उत्पादकता को कमजोर कर सकता है और भारत की आर्थिक क्षमता को घटा सकता है।’

इसके साथ ही रिपोर्ट कहती है कि आदतों के इस जहरीले मेल में निजी क्षेत्र का खासा योगदान है। इसमें भारतीय कंपनियों से खानपान की परंपरागत आदतों के बारे में जागरूक होने और उन्हें अपनाकर वैश्विक बाजार तक पहुंचाने का सुझाव दिया गया है।

भाषा प्रेम पाण्डेय

पाण्डेय