नयी दिल्ली, एक नवंबर (भाषा) सरकार ने सोने, चांदी और प्लेटिनम के आभूषणों के निर्यात के संबंध में अपव्यय (बर्बादी) की स्वीकृत मात्रा से संबंधित मानदंडों में शुक्रवार को संशोधन कर दिया।
अपव्यय मानदंड सोने या चांदी की वह उचित मात्रा है जो निर्यात के लिए आभूषण बनाए जाते समय बर्बाद हो सकती है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय ने एक सार्वजनिक सूचना में कहा, ‘‘आभूषणों के निर्यात के संबंध में बर्बादी के उचित और मानक मानदंडों को संशोधित किया गया है।’’
नए मानदंड अगले साल एक जनवरी से लागू होंगे।
उद्योग के एक अधिकारी ने कहा कि अपव्यय मानदंडों को 27 मई को जारी पिछले मानदंडों से थोड़ा संशोधित किया गया है। पिछले मानदंड जारी होने पर उद्योग ने सरकार से इस मुद्दे पर विचार करने का आग्रह किया था। उसमें आभूषण श्रेणियों में अपव्यय मानदंडों को कम कर दिया गया था।
वाणिज्य मंत्रालय ने इन चिंताओं पर गौर करने के बाद उन नियमों के कार्यान्वयन को दिसंबर 2024 तक के लिए टाल दिया था।
अब मंत्रालय ने संशोधित मानदंड जारी कर दिए हैं और सोना-चांदी उद्योग ने इनका स्वागत किया है।
मई में सादे सोने और प्लेटिनम के आभूषणों में वजन के हिसाब से अपव्यय 2.5 प्रतिशत से घटाकर 0.5 प्रतिशत और चांदी में 3.2 प्रतिशत से घटाकर 0.75 प्रतिशत कर दिया गया था। जड़ाऊ आभूषणों में, सोने, चांदी और प्लेटिनम के आभूषणों में अपव्यय को पहले के 5 प्रतिशत से घटाकर 0.75 प्रतिशत कर दिया गया था।
शुक्रवार को घोषित नए मानदंडों के अनुसार, सोने और प्लेटिनम के हस्तनिर्मित आभूषणों में वर्तमान में लागू 2.5 प्रतिशत से 2.25 प्रतिशत की बर्बादी की अनुमति है और चांदी के आभूषणों में 3.2 प्रतिशत से 3 प्रतिशत की बर्बादी की अनुमति है।
मशीनों द्वारा बनाए गए सोने और प्लेटिनम के आभूषणों के लिए 0.45 प्रतिशत बर्बादी की अनुमति है जबकि चांदी के मामले में यह 0.5 प्रतिशत तक कम हो गई है।
सोने, चांदी और प्लेटिनम के जड़ाऊ हस्तनिर्मित आभूषणों में नए मानदंड चार प्रतिशत बर्बादी की अनुमति देते हैं। वहीं मशीन से बने जड़ाऊ आभूषणों के लिए 2.8 प्रतिशत की बर्बादी की अनुमति है।
इस आदेश के दायरे में इन धातुओं से बनी मूर्तियां, सिक्के एवं पदक और अन्य वस्तुएं भी शामिल हैं।
भाषा राजेश राजेश प्रेम
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