खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में घटकर चार माह के निचले स्तर 5.22 प्रतिशत पर

खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में घटकर चार माह के निचले स्तर 5.22 प्रतिशत पर

  •  
  • Publish Date - January 13, 2025 / 07:23 PM IST,
    Updated On - January 13, 2025 / 07:23 PM IST

नयी दिल्ली, 13 जनवरी (भाषा) सब्जियों एवं अन्य खाद्य उत्पादों की कीमतें कम होने से दिसंबर महीने में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 5.22 प्रतिशत पर आ गई, जो चार महीने का सबसे निचला स्तर है। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई।

खुदरा मुद्रास्फीति में नरमी आने से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अगली मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ब्याज दरों में कटौती पर विचार कर सकता है। करीब दो साल से रेपो दर 6.50 प्रतिशत पर स्थिर बनी हुई है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति के दिसंबर, 2024 के आंकड़े जारी किए। खुदरा मुद्रास्फीति में लगातार दूसरे महीने गिरावट आई है। इसके पहले नवंबर, 2024 में मुद्रास्फीति 5.48 प्रतिशत पर थी जबकि नवंबर, 2023 में यह 5.69 प्रतिशत थी।

हालांकि अक्टूबर, 2024 में खुदरा मुद्रास्फीति आरबीआई के छह प्रतिशत के ऊपरी संतोषजनक स्तर को पार कर 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई थी।

एनएसओ ने कहा, ‘‘दिसंबर, 2024 में सब्जियों, ‘दालों एवं उत्पादों’, ‘चीनी एवं मिष्ठान्न’, ‘व्यक्तिगत देखभाल एवं प्रभाव’, और अनाज एवं उत्पादों की मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है।’’

दिसंबर, 2024 में सालाना आधार पर सबसे अधिक मुद्रास्फीति मटर (89.12 प्रतिशत), आलू (68.23 प्रतिशत), लहसुन (58.17 प्रतिशत), नारियल तेल (45.41 प्रतिशत) और फूलगोभी (39.42 प्रतिशत) में दर्ज की गईं।

वहीं दिसंबर में सालाना आधार पर सबसे कम मुद्रास्फीति जीरा, अदरक, सूखी मिर्च और घरेलू रसोई गैस में देखी गई।

एनएसओ ने कहा, ‘‘सीपीआई (सामान्य) इस अवधि के दौरान जुलाई, 2024 में अपने सबसे निचले बिंदु पर पहुंच गया। हालांकि दिसंबर, 2024 में सीपीआई (सामान्य) और खाद्य मुद्रास्फीति पिछले चार महीनों में सबसे कम है।’’

दिसंबर में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 8.39 प्रतिशत रही जो पिछले महीने के 9.04 प्रतिशत और दिसंबर, 2023 के 9.53 प्रतिशत से कम है।

आरबीआई को सरकार ने खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत के घट-बढ़ के साथ) पर बनाए रखने का दायित्व सौंपा हुआ है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) मुद्रास्फीति आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए नीतिगत ब्याज दरों पर कोई फैसला करती है।

हालांकि आरबीआई ने फरवरी, 2023 से ही प्रमुख नीतिगत दर (रेपो) को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर बनाए रखा है। एमपीसी की अगली बैठक फरवरी की शुरुआत में होगी।

इन आंकड़ों पर रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री एवं शोध प्रमुख अदिति नायर ने कहा कि दिसंबर, 2024 में खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर के 5.5 प्रतिशत से कम हो गई लेकिन सुधार की गति अपेक्षा से कम थी।

उन्होंने कहा कि मासिक आधार पर खुदरा मुद्रास्फीति में इस गिरावट की वजह खाद्य और पेय पदार्थों के कारण हुई जबकि ईंधन एवं बिजली और पान, तंबाकू एवं मादक पदार्थों की सालाना मुद्रास्फीति में मामूली वृद्धि दर्ज की गई।

नायर ने कहा, ‘‘मुख्य मुद्रास्फीति के पांच प्रतिशत से ऊपर रहने की वजह से अगली नीतिगत समीक्षा में दरों में कटौती की संभावना निश्चित रूप से घट गई है। हालांकि, सब्जियों की कीमतों में उल्लेखनीय गिरावट से कुछ एमपीसी सदस्य वृद्धि को समर्थन देने के उद्देश्य से जल्दी कटौती पर विचार करने को राजी हो सकते हैं।’’

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के वरिष्ठ आर्थिक विश्लेषक पारस जसराय ने कहा कि अगली मौद्रिक समीक्षा केंद्रीय बजट के फौरन बाद होगी लिहाजा राजकोषीय आंकड़ों का भी इस पर असर पड़ेगा।

जसराय ने कहा, ‘‘मौजूदा आंकड़े मौद्रिक नीति के लिहाज से सकारात्मक हैं, लेकिन इंडिया रेटिंग्स का मानना ​​है कि एमपीसी ब्याज दरों पर कोई भी बदलाव करने से पहले एक और नीतिगत बैठक का इंतजार करना चाहेगी।’’

पिछले महीने आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति अनुमान को 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत कर दिया था। इसने खाद्य कीमतों पर दबाव के कारण दिसंबर तिमाही में मुख्य मुद्रास्फीति के ऊंचे स्तर पर बने रहने की आशंका भी जताई।

एनएसओ के आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर के दौरान ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में मुद्रास्फीति दर क्रमशः 5.76 प्रतिशत और 4.58 प्रतिशत थी।

इस दौरान सबसे अधिक मुद्रास्फीति छत्तीसगढ़ (7.63 प्रतिशत) और सबसे कम दिल्ली (2.51 प्रतिशत) में रही।

एनएसओ साप्ताहिक आधार पर सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के चयनित 1,114 शहरी बाजारों और 1,181 गांवों से कीमतों के आंकड़े जुटाता है।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय