नवीकरणीय ऊर्जा वैकल्पिक नहीं बल्कि अब जरूरत: धनखड़

नवीकरणीय ऊर्जा वैकल्पिक नहीं बल्कि अब जरूरत: धनखड़

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  • Publish Date - September 18, 2024 / 09:42 PM IST,
    Updated On - September 18, 2024 / 09:42 PM IST

गांधीनगर, 18 सितंबर (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए नवीकरण ऊर्जा अब वैकल्पिक नहीं बल्कि जरूरत बन गयी है। उन्होंने पृथ्वी को रहने योग्य बनाने के प्रयासों का आह्वान किया।

धनखड़ ने री-इन्वेस्ट 2024 के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के बारे में हमारे पास जो ज्ञान है, उसका स्रोत हमारे वेद और उपनिषद हैं। जब वैश्विक स्तर पर समस्याएं हैं, तब देश ने इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई है।

तीन दिन की नवीकरणीय ऊर्जा निवेशक बैठक और एक्सपो (री-इन्वेस्ट 2024) का चौथा संस्करण बुधवार को संपन्न हुआ। इस दौरान गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी और भूपेन्द्र यादव मौजूद थे।

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘नवीकरणीय ऊर्जा में रुचि वैकल्पिक नहीं है बल्कि यह जरूरत बन गयी है। हमें इसमें रुचि लेनी होगी क्योंकि इसका संबंध हमारे अस्तित्व से है। इसीलिए, री-इन्वेस्ट 2024 में लिए गए निर्णय कार्रवाई के लिए एक शक्तिशाली उत्प्रेरक बन सकते हैं। एक ऐसी कार्रवाई जो समय की मांग है।’’

उन्होंने जलवायु परिवर्तन को ‘अस्तित्व से जुड़ी चुनौती’ बताते हुए कहा कि पूरी दुनिया इसके प्रति अब सजग है क्योंकि ‘‘हम इस वास्तविकता से पूरी तरह से अवगत हैं कि हमारे पास रहने के लिए कोई दूसरा ग्रह नहीं है।’’

धनखड़ ने कहा, ‘‘और इसलिए काम करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। हमें एक परिवेश बनाने के लिए 24 घंटे काम करने की जरूरत है ताकि हम जलवायु परिवर्तन के खतरे को नियंत्रित कर सकें। उसके बाद इसे पुराने रूप में लाने में शामिल हों और फिर इस ग्रह को रहने योग्य बनाएं।’’

धनखड़ ने कहा कि 5,000 साल की अपनी समृद्ध सभ्यता के साथ भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने को लेकर अग्रणी भूमिका निभाई है। जलवायु परिवर्तन के बारे में हमारे पास जो ज्ञान है, उसका स्रोत हमारे वेद और उपनिषद हैं। इसीलिए, इस भूमि से एक बदलाव की शुरुआत हुई है।’’

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए सभी की समग्र भागीदारी वाला एक परिवेश बनाने की जरूरत है।

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘यह देश दुनिया में सद्भाव लाने का केंद्र बन गया है… भारत ने स्पष्ट रूप से आह्वान किया है… दुनिया की सभी एजेंसियों को जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए एकजुट होने की जरूरत है। और इसमें प्रत्येक व्यक्ति की भूमिका है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हर किसी को यह ध्यान रखना होगा कि ऊर्जा का उपभोग अनुकूलतम ढंग से हो। ऊर्जा का उपभोग अपनी आवश्यकताओं के अनुसार किया जाना चाहिए, ऊर्जा का उपभोग इस तरीके से किया जाना चाहिए जिससे सब कुछ पर्यावरण अनुकूल हो सके।’’

भाषा रमण अजय

अजय