नई दिल्ली। Religare Bank : कर्ज के बोझ में दबी रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (RFL) को भरोसा है कि नए साल में उसका कारोबारी परिचालन फिर शुरू हो जाएगा। कंपनी के 2,300 करोड़ रुपये के एकमुश्त निपटान (ओटीएस) प्रस्ताव को ज्यादातर ऋणदाताओं की सहमति मिल गई है। ओटीएस की प्रक्रिया पूरी होने के बाद आरएफएल सुधारात्मक कार्रवाई योजना (सीएपी) से बाहर आ जाएगी। भारतीय रिजर्व बैंक ने कंपनी वित्तीय सेहत की वजह से जनवरी, 2018 में उसपर सुधारात्मक कार्रवाई योजना लागू की थी।
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सूत्रों ने बताया कि 16 में से 14 ऋणदाताओं ने ओटीएस करार पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। दो अन्य ऋणदाता भी एक-दो रोज में इस पर हस्ताक्षर कर देंगे। इस बारे में आरएफएल से प्रतिक्रिया नहीं मिल पायी। रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लि. की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी पर भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई वाले बैंकों के गठजोड़ का लगभग 5,300 करोड़ रुपये का बकाया है। प्रस्तावित ओटीएस के तहत कंपनी ने जून, 2022 में आरएफएल के पुनरुद्धार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करते हुए प्रमुख ऋणदाता के पास 220 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि जमा की थी। सूत्र ने कहा कि कंपनी और उसके प्रवर्तक इस महीने में ही भुगतान के लिए तैयार हैं। हालांकि, उनके पास निपटान के लिए ओटीएस समझौते के अनुसार 90 दिन का समय है। सूत्र ने बताया कि उनके पास भुगतान के लिए पैसा तैयार है।
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सूत्रों ने कहा कि बेहतर संग्रह और वसूली के कारण आरएफएल ने धन जुटा लिया है और ओटीएस के लिए जो कमी होगी उसे उसकी मूल कंपनी पूरा करेगी। भारतीय रिजर्व बैंक ने मार्च, 2020 में पहली ऋण पुनर्गठन (डीआर) योजना को खारिज कर दिया गया था। इसकी वजह यह है कि कंपनी के लिए दावेदार टीसीजी एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड को नियामक ने ‘उपयुक्त’ नहीं पाया था। संशोधित डीआर योजना भी आगे नहीं बढ़ पाई और इससे ओटीएस के लिए रास्ता बना।
पूर्ववर्ती प्रवर्तक भाइयों शिविंदर सिंह और मालविंदर सिंह द्वारा धन की कथित हेराफेरी के कारण आरएफएल वित्तीय संकट में है। कई एजेंसियां करीब 4,000 करोड़ रुपये की वित्तीय गड़बड़ी की जांच कर रही हैं। आरएफएल ने 2020 में सिंह बंधुओं के खिलाफ वित्तीय अनियमितता के मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरएफएल के कोष को इधर-उधर करने के मामले में भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) ने इस साल सिंह भाइयों सहित 10 इकाइयों पर 60 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
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