विनियामकीय बदलावों से जमानत बॉन्ड कारोबार को मिलेगा जरूरी प्रोत्साहन: विशेषज्ञ

विनियामकीय बदलावों से जमानत बॉन्ड कारोबार को मिलेगा जरूरी प्रोत्साहन: विशेषज्ञ

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  • Publish Date - October 27, 2024 / 07:15 PM IST,
    Updated On - October 27, 2024 / 07:15 PM IST

नयी दिल्ली, 27 अक्टूबर (भाषा) दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता में संशोधन तथा बांड शब्दावली के मानकीकरण जैसे नियामकीय बदलावों से सामान्य बीमा कंपनियों द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले नए उत्पाद जमानत (श्योरिटी) बॉन्ड को बढ़ावा मिलेगा। विशेषज्ञों ने यह बात कही है।

साल 2022 में पेश यह उत्पाद भारत के बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और परियोजना वित्त के लिए बैंक गारंटी पर निर्भरता को काफी हद तक कम करेगा। नतीजतन, बैंक ऋण देने के लिए अन्य उत्पादक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।

इस उत्पाद की अग्रणी कंपनी बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस ने कहा कि वह 50 से अधिक लाभार्थियों को जोड़ने में सक्षम रही है, जिन्होंने जमानत बॉन्ड स्वीकार करना शुरू कर दिया है।

बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के मुख्य तकनीकी अधिकारी टीए रामलिंगम के अनुसार, कानूनी ढांचे में संभावित संशोधन बीमा कंपनियों को दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत बैंकों के समान कानूनी सहारा प्रदान करने में महत्वपूर्ण हैं।

उन्होंने पीटीआई-भाषा को बताया कि इससे समान अवसर उपलब्ध होंगे, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा और जमानत बॉन्ड के लिए बाजार में वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।

एक सरकारी अधिकारी के अनुसार, मामला संबंधित मंत्रालय के समक्ष है और आईबीसी में संशोधन को समय आने पर संसद में पेश किया जा सकता है।

वारा टेक्नोलॉजी के संस्थापक सुनील कनोरिया ने कहा, “मूल्य निर्धारण, पुनर्बीमा विकल्पों और क्षतिपूर्ति दस्तावेजों पर स्पष्टता की कमी से संबंधित मुद्दे प्रगति में और बाधा डालते हैं। भारतीय अनुबंध अधिनियम और आईबीसी वित्तीय लेनदारों के बराबर बीमाकर्ताओं के अधिकारों को मान्यता नहीं देती है।”

उन्होंने कहा कि अगर इन चुनौतियों का समाधान किया जाता है, तो ज़मानत बॉन्ड को आवश्यक बढ़ावा मिलेगा और आर्थिक वृद्धि और बुनियादी ढांचे के विस्तार को गति देने में मदद मिलेगी।

भाषा अनुराग पाण्डेय

पाण्डेय