नयी दिल्ली, 15 जनवरी (भाषा) लिथियम पुनर्चक्रण और बैटरियों में दोबारा इस्तेमाल के जरिये अगर देश में ही रहे तो भारत बैटरी निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को यह बात कही।
भारी उद्योग मंत्रालय में संयुक्त सचिव विजय मित्तल ने यहां आयोजित चौथे ‘भारत बैटरी विनिर्माण एवं आपूर्ति शृंखला शिखर सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए कहा कि लिथियम संसाधनों की सीमित उपलब्धता इस क्षेत्र के विकास को बाधित कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी राय में पुनर्चक्रण की भूमिका का उल्लेख करना महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारे पास पर्याप्त लिथियम संसाधन नहीं हैं। बैटरी के पुनर्चक्रण और दोबारा इस्तेमाल के जरिये लिथियम को देश के भीतर ही बनाए रखना बैटरी निर्माण में हमारी आत्मनिर्भरता के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता हो सकती है।’’
उन्होंने एक अग्रणी लिथियम विनिर्माता के यहां अपने दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि यह जानकर आश्चर्य हुआ कि विनिर्माता बैटरी निर्माण के लिए जरूरी मानकों के अनुरूप लिथियम का दोबारा उत्पादन कर सकते हैं।
भारत ऊर्जा भंडारण गठबंधन (आईईएसए) 15-16 जनवरी को चौथे भारत बैटरी विनिर्माण और आपूर्ति श्रृंखला शिखर सम्मेलन का आयोजन कर रहा है।
इस अवसर पर आईईएसए के अध्यक्ष देबी प्रसाद दास ने कहा कि गठबंधन 60 से अधिक बैटरी एवं कलपुर्जा विनिर्माताओं के साथ काम कर रहा है। गठबंधन ने बैटरी कलपुर्जा विनिर्माण के लिए एक सामाजिक प्रोत्साहन कार्यक्रम बनाने के लिए उद्योग की जरूरतों के बारे में मंत्रालय को अवगत कराया है।
दास ने उम्मीद जताई कि आगामी बजट में बैटरी विनिर्माण पारिस्थितिकी के लिए एक नई सहायता योजना शुरू की जाएगी।
भारी उद्योग मंत्रालय सामूहिक मिशन को गति देने वाली नीतियों के विकास के लिए उद्योग विशेषज्ञों से सक्रिय रूप से परामर्श कर रहा है।
आईईएसए एक अग्रणी उद्योग गठबंधन है जो भारत में उन्नत ऊर्जा भंडारण, हरित हाइड्रोजन और ई-मोबिलिटी प्रौद्योगिकियों के विकास पर केंद्रित है।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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